एम जे माने छे ते परज्ञेयोने पोतारूप करे छे. तेओने, अहीं कहे छे, भगवाने पशु, पशु जेवा कह्या छे. कळशमां ‘पशु’ ‘पशुरिव’ एम बे शब्द छे जुओ.
हा, पण तेओ तो मोटा धनपति शेठ, मोटा राजवी ने मोटा देव छे ने? एथी शुं? भले तेओ अबजोपति शेठ होय, के अधिकार-ऐश्वर्ययुक्त राजा होय, मोटा देव होय के मोटा पंडित होय-ज्यां सुधी तेओने वस्तुना स्वरूपसंबंधी एकान्त मान्यतारूप मूढपणुं वर्ते छे त्यांसुधी तेओ पशु-पशु जेवा ज छे. अहा! तेओ मिथ्यात्वना सेवनथी बंधाय ज छे, ने एना फळमां एकेन्द्रियादि तिर्यंचपणे ज अवतरशे. ल्यो आवी वात!
अरे भाई! ज्ञानस्वरूपी भगवान आत्मा छे ते जाणे ने जाणवापणे रहे, पण ए सिवाय शुं करे? शुं आ एक पांपणने पण आत्मा हलावी शके छे? ना हों. ए (- पांपण) तो जड माटी-धूळ छे. तेनुं हालवुं एनाथी-जडथी छे, आत्माथी नहि. जुओने! शरीरमां पक्षघात थाय त्यारे तेने घणुं हलाववा मागे छे, मथे पण छे; पण ए हालतुं ज नथी. केम? केमके एनुं हालवुं एनाथी छे, एना काळे ए हाले छे, तारुं हलाव्युं हाले छे एम छे नहि; वास्तवमां तुं एने हलावी शकतो ज नथी. हालवुं-चालवुं, बोलवुं ने उठवुं-बेसवुं ए तो बधी जडनी-परमाणुनी क्रिया छे भाई! एने आत्मा करी शकतो नथी. आत्मा तो ज्ञेयो जेम छे तेम जाणे बस, अने जाणवापणे रहे. जाणे कहीए एय व्यवहार छे, वास्तवमां तो ते तत्संबंधी पोताना ज्ञानने जाणे छे. आवुं झीणुं! अहा सर्वज्ञ परमेश्वरनुं तत्त्व खूब झीणुं छे भाई! अहा! ए तत्त्वने सर्वज्ञ परमात्माए कर्युं - रच्युं छे एम नहि, ए तो जेम छे तेम जाण्युं ने ॐध्वनि द्वारा कह्युं छे बस. भाई! तुं एने समजणमां तो ले.
अहा! हुं पर जीवोनी दया पाळी शकुं छुं, दीन-दुःखियाने सहाय करी शकुं छुं, अने ए मारुं कर्तव्य छे एम जे माने छे ते ज्ञेयने ज्ञान (आत्मा) माने छे. पुण्य-पाप आदि भाव पण मारा छे, भला छे, कर्तव्य छे एम माने छे तेय ज्ञेयने ज्ञान माने छे. अहा! आम, सर्वथा एकान्तवादी जगत आखुं ज्ञान छे अर्थात् जगत हुं छुं एम माने छे. हुं आत्मा सर्वव्यापक छुं अथवा सर्वज्ञेयो हुं ज छुं एम विचारी सर्वने निजतत्त्वनी आशाथी देखीने अज्ञानी पोताने विश्वरूप करे छे.
अरे! जेने हुं कोण छुं अने केवी रीते छुं एनी खबर नथी ते भले अहीं मोटो शेठ के राजा होय, ते मरीने क्यांय कीडी ने कागडे जशे. शुं थाय भाई? मिथ्यात्वनुं एवुं ज फळ छे. जुओ, ब्रह्मदत चक्रवर्ती हता. सोळ हजार देवो एमनी सेवा करता. एने घरे ९६ हजार राणीओ हती. ए हीराना पलंगमां पोढता. एना वैभवनुं शुं कहेवुं? अपार वैभवनो ए स्वामी हतो. छतां मरीने रौ -रौ नरके गया केम? केमके