Pravachan Ratnakar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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४२२ः प्रवचन रत्नाकर भाग-१०

अहाहा....! जुओ, परवस्तु छे तो हुं छुं, परवस्तु न रहे तो हुं न रहुं-एम परथी ज पोताने मानवावाळा एकांतवादी बधा पशु छे एम कहे छे. भाई! आ पशुनी व्याख्या! बहु आकरी पण आ सत्य छे. अहा! आवो एकांती दुर्वासनाथी -कुनयथी वासनाथी वासित छे. एना चित्तमां, परवस्तुथी हुं छुं -एवा कुनयनी गंध गरी गई छे.

अहा! जुओ तो खरा, संसारमां केवी विचित्रता छे. कोई कहे-अरे, स्त्री मरी गई. हवे एक क्षण पण केम जीवी शकुं? तो कोई नाना बाळकनां मा-बापनो वियोग थतां लोक कहे -अरे, बिचारो नोधारो थई गयो; तो कोईनुं धन लूंटाई जाय तो रोककळ करे के -हाय, हाय! हवे केम जीवीश? कोई कोई तो आबरूना मार्या झेर खाईने पण मरी जाय. मरीने पण आबरू राखवा मागे छे. ल्यो. अहा! आवा जीवो बधा अहीं कहे छे, कुनयनी दुर्वासनाथी वासित छे. परद्रव्यथी-परवस्तुथी मारुं जीवन छे एवी दुर्वासना एमने घर करी गई छे.

तेने ज्ञानी पुरुष कहे छे- अरे, आ तने शुं थई गयुं भाई? शुं तारुं होवापणुं परने लईने छे? परथी तो तुं नास्ति छो ने प्रभु! तारुं चैतन्य तत्त्व सदाय निज भावथी भिन्न टकी रह्युं छे ने! तारे परथी शुं काम छे? आ ते केवी भ्रमणा के जे तारा नथी तेने कल्पना वडे-कल्पितपणे तारा माने छे? दुर्वासनाथी दूर था. जो तो खरो, जेना विना एक क्षण पण नहि जीवाय एम मानतो हतो, एना विना तारो अनंतकाळ वीत्यो छे. श्रीमद्ना एक पत्रमां आवे छे भाई! के-वळी स्मरण थाय छे के जेना विना एक पळ पण हुं नहि जीवी शकुं एवा केटलाक पदार्थो स्त्री, पुत्र, लक्ष्मी वगेरे ते अनंतवार छोडतां तेनो वियोग थयो, अनंतकाळ पण थई गयो वियोगनो..... इत्यादि. मतलब के ईष्टना विरहपूर्वक अनंतकाळ आत्मानो गयो छे. अने संयोगकाळमां पण ए चीज तारी क्यां छे? एना विना ज तुं टकी रह्यो छो.

बिहारप्रांतनी एक बनेली घटना छे. त्यां एक करोडपति शेठ हता. एक दिवस बहार घोडागाडीमां बेसीने फरवा गयेला. त्यां एटलामां भूकंप थयो. तेमां तेनी स्त्री, छोकरां, कुटुंब, मकान, धन-संपत्ति बधुं ज जमीनदोस्त थई दटाई गयुं. फक्त पोते जीवता रही गया. पछी विलाप करी ते कहे-अरे! मारुं बधुं ज गयुं! तेने ज्ञानी कहे छे- धीरो था भाई! तारुं कांई ज गयुं नथी; तुं पूर्ण विज्ञानघन जेवो ने तेवो छो. जे बधां गयां ते तारां हतां ज के दि’ ? जो तारां होय तो तने छोडी जाय केम? ताराथी जुदां पडे ज केम? माटे मारां हता ए दुर्वासनाथी दूर थई अंदर तारो एक विज्ञानघनस्वभाव छे तेनी संभाळ कर.

कोई तो वळी अमुक सगावहालां सारो-मीठो संबंध राखतां होय एटले कह्या