४२४ः प्रवचन रत्नाकर भाग-१० नथी. (जे देव-गुरु आदि परद्रव्यथी लाभ थवानुं मानी तेनुं सेवन करे छे तेने सम्यग्दर्शन आदि धर्म थतो ज नथी).
प्रश्नः– श्रेणीक राजानो जीव अत्यारे नरकमां छे. ते नरक गतिना उदयने लईने छे के नहि?
उत्तरः– नरकगतिना उदयने लईने तेओ (श्रेणीक राजा) नरकमां गया छे एम कहेवुं ते निमित्तपरक व्यवहारनुं कथन छे. वास्तवमां एम नथी, निश्चयथी तो पोते पोताना परिणामनी योग्यताथी ज नरकमां रहेला छे, नरकगतिनो उदय तो निमित्तमात्र छे. कर्मनिमित्त छे खरुं, पण एनाथी नरकमां गया छे एम नथी. निमित्त छे ते अनुकूळ छे, पण ते अनुकूळ (-निमित्त) अनुरूपने (नैमित्तिक पर्यायने) रचतुं नथी.
जुओ, शास्त्रमां आवे छे के ज्ञानावरणीय कर्म छ प्रकारे बंधाय छे. ते छ प्रकार जे छे ते नवां कर्म बंधाय एने अनुकूळ छे, अने कर्म बंधाय ते नैमित्तिक कार्य अनुरूप छे. त्यां अनुकूळ (निमित्त) छे ते नैमित्तिक-अनुरूपने रचतुं नथी. छ प्रकारथी ज्ञानावरणीय कर्म बंधाय छे एम नथी. परंतु अज्ञानी ज्यां होय त्यां सर्वत्र परथी ज कार्य थवानुं ने परथी ज पोताने लाभ थवानुं माने छे. आ रीते ते पोताने सर्वद्रव्यमय मानीने स्वद्रव्यना भ्रमथी अर्थात् हुं पर वडे ज छुं एवा भ्रमथी परद्रव्योमां विश्राम करे छे, अंदरमां हुं परथी भिन्न ज्ञानानंदस्वरूप भगवान छुं एम तेनुं लक्ष थतुं नथी. खरेखर तो स्वद्रव्यनी अपेक्षा परद्रव्य अद्रव्य छे अर्थात् कांई नथी, पण आणे (अज्ञानीए) तो परद्रव्यमां स्वद्रव्यनो भ्रम करी पोताने अद्रव्य (कांई नहि, शून्य) करी नाख्युं. ल्यो, आवो मोटो अपराध! आ पजुसण पछी क्षमापना दिन मनावे छे ने! खरेखर तो क्षमापना एणे पोताना निज भगवान आत्मा पासे लेवानी छे. ते आम के-हे नाथ! में अनादिथी आज पर्यंत परने पोताना मान्या, अने पोताने पररूप मान्यो; नाथ! क्षमा करो. ल्यो, आम परद्रव्यथी भिन्न स्वद्रव्यनो अस्तिपणे निश्चय करवो एनुं नाम क्षमापना छे. ए ज कहे छे-
‘स्याद्वादी तु’ अने स्याद्वादी तो, ‘समस्तवस्तुषु परद्रव्यात्मना नास्तितां जानन्’ समस्त वस्तुओमां परद्रव्यस्वरूपे नास्तित्व जाणतो थको, ‘निर्मल–शुद्ध–बोध– महिमा’ जेनो शुद्ध ज्ञानमहिमा निर्मळ छे एवो वर्ततो थको, ‘स्वद्रव्यम् एव आश्रयेत्’ स्वद्रव्यनो ज आश्रय करे छे.
जुओ, स्याद्वादी-धर्मी तो एम माने छे के-परद्रव्य हो तो हो, मने ए कांई नथी; अर्थात् परद्रव्यथी मारी नास्ति छे. मारुं होवुं परद्रव्यने लईने नथी, अने मारे लईने परद्रव्य नथी. आम समस्त वस्तुओमां परद्रव्यस्वरूपे नास्तित्व जाणतो थको,