Pravachan Ratnakar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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परिशिष्टः ४३७

अहा! वस्तु अनादि अनंत त्रिकाळी ध्रुव सत् छे, एम एनी वर्तमान वर्तमान वर्तती दशा पण सत् छे. अने सत् छे तो ते दशा परने लईने नथी. आ तो आवी ज वस्तुव्यवस्था छे छतां पोतानी अवस्था परथी थवी माने छे ते मूढ मिथ्याद्रष्टि छे; ते पोतानी वर्तमान अवस्थानुं जे अस्तित्व पोताथी छे तेनो नाश करे छे, अर्थात् ए रीते पोतानो ज नाश करे छे.

वळी शरीर, मन, वाणी, इन्द्रिय, स्त्री-कुटुंब, परिवार, लक्ष्मी, आबरू ईत्यादि बधां बाह्य निमित्तो सारा होय तो मने सुखनी वेळा थाय एम अज्ञानी माने छे. ते निरंतर निमित्तोने ज ताकीने बेसे छे; तेनुं चित्त निमित्तोनी लालसाथी घेरायेलुं रहे छे. सुखनी वेळा तो दूर रहो, निमित्तोनी लालसाथी घेरायेलुं तेनुं चित्त दुःखनो ज-व्यग्रतानो ज अनुभव करे छे, केमके परवस्तु-निमित्त पोतानी इच्छाने आधीन प्राप्त थतां नथी आम परवस्तु-बाह्य निमित्तोथी मने सुखनी वेळा थाय ए मिथ्या कल्पना दुःखकारी ज बने छे. वास्तवमां परवस्तु परवस्तुने माटे अकिंचित्कर ज छे. परवस्तुथी पोताने सुखनी वेळा थाय एवी मान्यता तो अज्ञानीनी मिथ्या कल्पना सिवाय कांई ज नथी. समजाणुं कांई........?

अहा! ज्ञेयनी अवस्थानुं जे जे परिणमन थाय ते एना ज्ञानमां जणाय छे. त्यां एने भ्रम थई जाय छे के आ ज्ञेयनी अवस्थाना परिणमनने आधारे ज मारी ज्ञाननी दशा छे. अहा! आवा भ्रम वडे अज्ञानी पोतानी वर्तमान अवस्थामां अधर्म उत्पन्न करे छे- बंधनने पामे छे. हाथीने जेम चुरमु अने खडनो विवेक नथी तेम अज्ञानी जीवोने स्व अने परनो विवेक नथी. अहा! आवा जीवो, अहीं कहे छे, भले ते बहारमां मोटा धनपति शेठ के मोटा देव होय, तोपण पशु जेवा ज छे. अरे! आवा जीवोने मारुं शुं थशे ने हुं मरीने क्यां जईश एनी कोई दरकार ज नथी. तेओ बिचारा एम ने एम (- कषाय ने विषयमां रोकाईने) ८४ लाख योनिमां परिभ्रमण कर्या करे छे.

अरे! अज्ञानी बाह्यज्ञेयोना अवलंबननी लालसावाळा चित्तथी बहार-बायडी, छोकरां, पैसा, धन, परिजन, बाग, बंगला इत्यादि विषयोमां-भमे छे. पण भाई रे! तुं मूढ छो के शुं? अंदर अतीन्द्रिय आनंदनो भंडार निर्मळानंदनो नाथ प्रभु तुं छो त्यां जा ने! त्यां रम ने. भाई! तारी आनंदनी दशा आवे ते तारा पोतामांथी पोताथी ज आवे छे, तुं बहारमां-विषयोमां मा शोध. विषयोमांथी मने मझा-आनंद आवे छे एम माननार तो पोतानी वर्तमान दशानो अभाव (इन्कार) करीने चित्तनी शांतिनो नाश करे छे, पोतानी ज हिंसा करे छे. समजाणुं कांई....?

आ शरीरादिनी जे अवस्था जे काळे थवानी होय ते ते काळे थाय, थाय ने