छे ते जीव पोताना भावना सामर्थ्यथी रहित थयो थको अत्यंत जड थई गयो छे. जेवुं निमित्त आवे एवुं परिणमन करवुं पडे एम माननार अत्यंत जड थई गयो छे. भाई! (द्रव्यनी) एक समयनी पर्यायनी योग्यता पोताना भावना सामर्थ्यथी पोताना कारणे छे; एनो भाव जे पडयो छे एमांथी ए आवशे, कांई परभावथी-निमित्तथी ए प्रगटशे एम छे नहि. बापु! आ तो स्वतंत्रतानो ढंढेरो छे. वळी आमां तो हुं आम करुं ने तेम करुं-एम परनुं करवानां बधां अभिमान ने बधो बोजो उतरी जाय छे. भाई! तने जे बोजो छे ते कांई परवस्तुने लईने नथी, तारी विपरीत मान्यतानो बोजो छे. तारी दशानी मर्यादा तारी सत्तामां रही छे, बहारमां नहि; तो पछी बहारनी चीज तने शुं करे? कांई ज न करे. समजाणुं कांई.....? पण अरे! परचीजथी मारो भाव उघडे छे एम मानीने अत्यंत निश्चेतन-जड थयो थको अज्ञानी पोतानो नाश करे छे, अर्थात् अनंता जन्म-मरण कर्या करे छे.
सर्वस्मात् विभक्तः भवन्’ (पोताना) नियत स्वभावना भवनस्वरूप ज्ञानने लीधे सर्वथी (-सर्व परभावोथी) भिन्न वर्ततो थको, ‘सहज–स्पष्टीकृत–प्रत्ययः’ जेणे सहज स्वभावनुं प्रतीतिरूप जाणपणुं स्पष्ट-प्रत्यक्ष-अनुभवरूप कर्युं छे एवो थयो थको, ‘नाशम् एति न’ नाश पामतो नथी.
अहाहा...! स्याद्वादी अर्थात् अनेकान्तना स्वरूपने जाणनार, पोतानो त्रिकाळ नियत जे स्वभाव छे तेने अनुसरीने थवारूप ज्ञानने लीधे, पोतानुं वर्तमान थवुं- परिणमवुं छे ते पोताना कारणे छे एम जाणतो थको परथी भिन्न वर्ते छे. आ वांचन- श्रवण-चिंतवन (विकल्प) थी मारा ज्ञाननुं परिणमन आवे छे एम ज्ञानी मानतो नथी. ए तो सर्व परभावोथी भिन्न निर्मळ ज्ञाननी दशाए वर्ते छे. एना ज्ञानना परिणमननी दशामां परथी विभक्तपणुं छे. मारा द्रव्यना लक्षे मारो जे स्वभाव छे एनुं ए परिणमन छे एम धर्मी माने छे. भाई! बहु अंतर बापा! ज्ञानी-अज्ञानीनी मान्यता ने प्रवर्तनामां आभ-जमीननुं अंतर छे.
अहा! ज्ञानी जाणे छे के -मारो आत्मा ज्ञान, दर्शन, सुख, वीर्य, कर्ता, कर्म, साधन इत्यादि अनंत स्वभावोथी पूरण भरेलो भगवान छे. पर कर्ता थाय, पर साधन थाय ने परनो आधार मळे तो मारी पर्याय उघडे एम छे नहि. अहाहा....! मारो स्वभाव ज कर्तागुणथी, साधनगुणथी ने आधारगुणथी पूरण भरेलो छे तो मने परनी शुं अपेक्षा छे? अहा! आम जेणे पोताना सहज स्वभावनुं -एक ज्ञायकभावनुं प्रतीति- विश्वासरूप जाणपणुं स्पष्ट-प्रत्यक्ष-अनुभवरूप कर्युं छे ते ज्ञानी, अहीं कहे छे, जिवित रहे छे, अर्थात् परम आनंदने अनुभवे छे; नाश पामतो नथी.