ॐ
परमात्मने नमः।
श्रीमद्भगवत्कुंदकुंदाचार्यदेवप्रणीत
श्री
समयसार
उपर
परम पूज्य सद्गुरुदेव श्री कानजीस्वामीनां प्रवचनो
श्रीमदमृतचन्द्रसूरिकृता आत्मख्यातिः।
परिशिष्ट
आचार्यदेव अनेकान्तने हजु विशेष चर्चे छेः–
अहाहा...! आत्मा ज्ञानानंदस्वरूप प्रभु अनंत धर्मस्वरूप वस्तु छे; तेने परद्रव्योथी अने परभावोथी भिन्न ओळखाववा माटे आचार्यदेव ‘ज्ञानमात्र’ कहेता आव्या छे. त्यां ‘ज्ञानमात्रवस्तु आत्मा’ -एम कहेतां ज्ञानथी विरुद्ध जे जड परद्रव्यो अने रागादिभावो एनो तो निषेध थई जाय छे, पण ज्ञाननी साथे रहेनारा जे दर्शन, सुख, वीर्य इत्यादि