ग्रंथनी आदिमां आचार्य सर्व सिद्धोने एटले अनंत सिद्धोने भाव अने द्रव्य स्तुतिथी नमस्कार करे छे. जोयुं? अंदर भावथी एटले ज्ञायकनी सन्मुख थईने - एमां एकाकार थईने स्तुति करे छे; तथा द्रव्यथी एटले विकल्पथी स्तुति करे छे. ‘वंदित्तुं’ छे ने? एटले भाव अने द्रव्य स्तुतिथी नमस्कार. अंदरमां पोतामां शुद्धचैतन्यघन तरफनुं परिणमन थयुं ए भाव नमस्कार छे अने सिद्ध भगवान आवा छे एवो (तेमना स्वरूपनो विचार) विकल्प ऊठवो ए द्रव्यनमस्कार छे.
सर्व सिद्धोने भाव-द्रव्य स्तुतिथी पोताना अने परना आत्मामां स्थापीने- एटले के मारा आत्मामां अने सांभळनार श्रोताओना आत्मामां, बन्नेमां हुं सिद्धोने स्थापुं छु.ं अहाहा..! ज्ञाननी पर्याय अल्पज्ञ होवा छतां अनंत अनंत सिद्धोनो सत्कार करे छे. अनंतज्ञानने प्राप्त परमात्माने एक समयमां (पर्यायमां) स्थापन करे छे. आ ज एनुं वंदन छे. अनंता सिद्धोने पर्यायमां स्थापे ते ‘वंदित्तु’ छे. वंदित्तुनो अर्थ स्थापे. स्थापे एटले ज्ञाननी पर्यायमां राखे. राखे एटले? आत्मानुं साध्य सिद्धदशा छे ने? एटले साध्यने पर्यायमां स्थापे छे.-राखे छे. आम सांभळनार अने कहेनार बन्नेमां सिद्ध पर्यायनुं स्थापन करी संभळाववानी वात करे छे.
अहाहा...! अहीं कहे छे के अमे अनंत सिद्धोने नमस्कार करीए छीए. जेणे अनंत सिद्धो अने केवळीओने मतिज्ञाननी पर्यायमां स्वीकार्या एनी पर्याय स्वद्रव्य तरफ ढळी जशे. पर्यायमां आटलुं जोर आवे-अनंत सिद्ध अने केवळीओने स्थापे-त्यां लक्ष द्रव्य तरफ जतुं रहे छे. आ एनो लाभ छे.
आचार्य कहे छे के आगळ मारे पण सिद्ध थवुं छे अने श्रोताओने पण सिद्ध थवुं छे एटले पोताना आत्मामां तथा श्रोताओना आत्मामां अनंत सिद्धोनी स्थापना करुं छुं. कारण के सिद्ध थवानो काळ मारे हजु नथी अने श्रोताने पण नथी, माटे सिद्धनुं पर्यायमां पस्तानुं (प्रस्थानुं) मूकुं छुं. लौकिकमां पण पस्तानुं करे छे ने? जेम वार-कवार होय अने कोई प्रसंगे बहार जवानुं थाय तो शेरीमां बीजाने त्यां पस्तानुं मूकी आवे, पछी बीजे दिवसे त्यांथी लईने नीकळे. तेम अहीं पर्यायमां अनंत सिद्धोने पस्तानामां मूके छे (स्थापना करे छे). हवे हुं सिद्धमां जवानो छुं, तेनुं आ मंगळ प्रस्थान छे. अहा! श्रोताने पण एम कहे छे. पांचमी गाथामां आव्युं ने? ‘जो हुं (शुद्धात्मानुं स्वरूप) देखाडुं तो प्रमाण करजे’ द्रव्यनो आश्रय-करीने अनुभव करीने प्रमाण करजे. हा पाडवाना विकल्पथी -एम नही; पर्यायने द्रव्य तरफ वाळीने अनुभवथी प्रमाण करजे.