आत्मानी एकेक शक्तिमां अनंत सामर्थ्य छे. एकेक शक्तिनी अनंती पर्यायो छे. आम अनंत शक्तिनी उत्पाद-व्ययरूप क्रमवर्ती पर्यायोने अक्रमवर्ती अनंत गुणो-एमनो समुदाय ते आत्मा छे. प्रत्येक शक्ति सहजभावरूप पारिणामिकभावे छे. तेनुं भान थतां क्रमवर्ती निर्मळ पर्याय प्रगट थाय छे. ते औपशमिकभावरूप, क्षायोपशमिकभावरूप वा क्षायिकभावरूप छे, औदयिकभावनो तेमां अभाव छे. आ शक्तिना अधिकारमां विकारी भावनी वात ज लीधी नथी, केमके विकार ते कांई शक्तिनुं कार्य नथी.
आत्मामां अनंत शक्तिओ अक्रमे त्रिकाळ छे; तेमां एक नियतप्रदेशत्वशक्ति त्रिकाळ छे. एटले शुं? आत्माना क्षेत्रमां असंख्य प्रदेशो नियत छे. अहाहा...! जे क्षेत्रमां चैतन्यना अनंतगुणनो प्रकाश उठे छे ते आत्माना प्रदेशोनी संख्या नियत छे. अहीं असंख्य प्रदेशने नियत कहेल छे; अन्यथा असंख्य प्रदेशने व्यवहार कहेवामां आवे छे. पंचास्तिकायनी गाथा ३२नी टीकामां जीवनुं क्षेत्र एक प्रदेशवाळुं कहेल छे. त्यां कह्युं छे-“जीवो खरेखर अविभागी-एकद्रव्यपणाने लीधे लोकप्रमाण-एकप्रदेशवाळा छे” जुओ, आमां शुं अपेक्षा छे? के असंख्य प्रदेशना भेदनो निषेध करी जीवने अविभागी-एकद्रव्यपणाने लीधे लोकप्रमाण एक प्रदेशी कहेल छे. असंख्यप्रदेशो एक द्रव्यमय अभेद एकरूप छे एम त्यां वात लेवी छे, त्यारे अहीं, प्रदेशोनी संख्या छे ते त्रिकाळ नियत छे, तेमां वधघट नथी तेथी, असंख्य प्रदेश नियत छे एम कह्युं छे. आ रीते पंचास्तिकायमां एक प्रदेशी जीव द्रव्य कह्युं ने अहीं नियत-असंख्य प्रदेशी जीव द्रव्य कह्युं ए बेउ कथनमां विरोध नथी, अविरोध छे; मात्र विवक्षाभेद छे, अपेक्षाथी बन्ने कथन बराबर छे.
कळशटीकामां असंख्य प्रदेश एकरूप छे, ने तेमां भेद पाडवो ते व्यवहार छे एम कह्युं छे. कळश २प२मां आ वात करी छे. द्रव्य-क्षेत्र-काळ-भावनी त्यां वात छे. त्यां एकरूप वस्तुने स्वद्रव्य कह्युं छे, अने ‘आ द्रव्य, आ गुण’-एम भेद पाडवो तेने परद्रव्य कह्युं छे. असंख्य प्रदेश एकरूप छे ते स्वक्षेत्र छे अने तेमां ‘आ प्रदेश, आ प्रदेश’-एवो भेद पाडी लक्षमां लेवुं तेने परक्षेत्र कह्युं छे. भगवान आत्मा त्रिकाळी द्रव्य भूतार्थ अभेद एकाकार ते स्वकाळ छे, ने पर्यायनो भेद पाडी तेनुं ज्ञान करवुं तेने परकाळ कह्यो छे. अनंत शक्ति-अनंत स्वभावरूप एक भाव ते स्व-भाव छे, अने एकेक शक्तिनो भेद पाडी तेने लक्षमां लेवी तेने परभाव कह्यो छे. हवे आवी वात जरा धीरज राखी ध्यान दईने सांभळे तो बधो मिथ्या आग्रह मटी जाय एवी आ वात छे. भाई! आ कल्पित वात नथी बापु! आ तो भगवान केवळीओना प्रवाहथी चाली आवती वाणी छे. भेदने छोडी, अभेदने पकडवाना पुरुषार्थने जगाडनारी आ अमृतवाणी छे. भाई! भेद छे ते अभेदने समजवा पूरतो छे, बाकी भेद द्रष्टिनो विषय नथी.
अहाहा...! आत्मा अनंत गुणस्वभावोनो एकरूप चैतन्य स्वयंभू भगवान छे. स्वयंभूरमण नामनो छेल्लो समुद्र छे, तेनो असंख्य योजनमां विस्तार छे. तेना तळिये रेती नथी, रत्नो भर्यां छे. तेम आत्मानुं असंख्य प्रदेशी क्षेत्र छे, तेमां एकेक प्रदेशे अनंत गुणरूपी चैतन्यरत्नो भर्यां छे. अहाहा...! एवा अनंतभावरूप त्रिकाळी एक भाव ते स्व-भाव कहेवाय, ने तेमां एकेक गुण-शक्तिनो भेद पाडवो-आ ज्ञान, आ सुख, -एम भेद पाडवो तेने परभाव कहेवामां आवे छे. वास्तवमां जे स्वद्रव्य छे ते ज स्वक्षेत्र छे, ते ज स्वकाळ छे ने ते ज स्वभाव छे. आम द्रव्य-क्षेत्र-काळ-भावना भेद रहित भगवान आत्मा स्वयंभू आनंदकंद प्रभु छे ते अकषाय, वीतरागस्वभावथी भरेलो शुद्ध स्वद्रव्य छे. अहाहा...! आत्मा चैतन्य-अमृतनो पिंड प्रभु छे. भाई! समजाय एटलुं समजो बापु! आ तो वीतरागनो मारग छे; भेदनुं लक्ष दूर करी अभेद एक त्रिकाळीने लक्षमां लेतां ते प्राप्त थाय छे. एने धर्म कहो के मोक्षनो मारग कहो, एक ज वात छे. जेम केरीमां जे वर्ण छे ते ज गंध, ते ज रस अने ते ज स्पर्श छे. भेदने लक्षमां न लईए तो आखी चीज वर्ण-गंध-रस-स्पर्शमय छे; तेम भगवान आत्मा चिन्मात्र अभेद एक द्रव्य- क्षेत्र-काळ-भावमय छे. अहाहा...! आवा अभेदनी द्रष्टि ते द्रव्यद्रष्टि अने द्रव्यद्रष्टि ते सम्यग्द्रष्टि. समजाणुं कांई...?
अहीं कहे छे-अनादि संसारथी मांडीने संकोचविस्तारथी लक्षित एवुं लोकाकाशना माप जेटला मापवाळुं आत्म-अवयपणुं जेनुं लक्षण छे एवी एक नियतप्रदेशत्वशक्ति आत्मामां त्रिकाळ पडी छे. आत्मामां जे असंकुचितविकासत्वशक्ति छे ते जुदी चीज छे, ने आ संकोचविस्तारथी लक्षित जे नियतप्रदेशत्वशक्ति छे ते जुदी चीज छे.
असंकुचितविकासत्वशक्तिनुं स्वरूप तो एवुं छे के-जेमां संकोचनो अभाव छे एवो पर्यायमां गुणनो अपरिमित विस्तार थाय ते असंकुचितविकासत्वशक्ति छे. अहाहा...! पूर्ण द्रव्य, पूर्ण क्षेत्र, पूर्ण काळ अने पूर्ण भाव-ए बधाने संकोच रहित पूर्ण विकासरूप शक्तिना सामर्थ्यथी जाणे एवी जीवमां असंकुचितविकासत्वशक्ति छे. अहाहा...! जेमां संकोच नहि, परिमितता नहि एवो ज्ञानादिमां पूर्ण विकास थाय, एवी असंकुचितविकासत्वशक्ति छे. लोकोने आवी वात मळे