१७६ ] [ प्रवचन रत्नाकर भाग-२ छे. राग ए तारुं लक्षण नथी. श्रीगुरु परभावनो विवेक करी बतावे छे, एनो अर्थ ए थयो के गुरु तेने कहेवाय के जे रागथी आत्मा भिन्न छे एम कही भेदज्ञान करावे. राग करवा जेवो छे के रागथी लाभ (धर्म) थाय-एवो जे उपदेश आपे ते जैनना गुरु नहि पण अज्ञानी छे. आत्मज्ञाननी अनुभवदशा जेने थई छे ते साचा गुरु छे. आवा साचा गुरु परभावने हेय करी बतावे छे के-भाई! ज्ञान अने आनंद ए तारुं स्वरूपसत्त्व छे, पुण्य-पापना कृत्रिम विकल्पो ए तारी चीज नथी. धर्मात्मानो आवो उपदेश, रागने पोताथी एक करी-मानीने बेठो छे एवा अज्ञानीने भेदज्ञान करावे छे.
जेमने चैतन्यस्वभावना आश्रये वीतरागी परिणति थई छे ते श्रीगुरु धर्मात्मा छे. ते मोक्षमार्गने पामेला छे. तेओ परभावोने हेय करीने, अज्ञानीने राग अने त्रिकाळस्वभावनी भिन्नतानो विवेक करावे छे. जेम फोतरां अने कस बन्ने जुदी चीज छे, तेम भगवान आनंदनो नाथ चिदानंद प्रभु आत्मा कस छे अने जे रागना विकल्पो ऊठे छे ते फोतरां छे. ए बन्ने भिन्नभिन्न छे. ज्यारे सूपडामां कस अने फोतरां जलदी छूटां न पडे त्यारे जेम धब्बो मारीने छूटां पाडे छे तेम अहीं श्रीगुरु धब्बो मारीने जे बन्नेने एकाकार माने छे तेने भेदज्ञान करावे छे, अने एक आत्मभावरूप करे छे.
भाई! जाणवुं-देखवुं ए तारो स्वभाव छे. तारुं स्वरूप प्रज्ञाब्रह्म छे. राग ए तारी चीज नथी. राग अने प्रज्ञास्वभाव भिन्नभिन्न छे. आ शरीर तो जड माटी-धूळ छे. शरीर चाले के वाणी नीकळे ए आत्माथी नथी. तेम आ पुण्य-पापना भाव पण जड अचेतन अने अंधकाररूप छे, ज्यारे भगवान आत्मा प्रकाशमूर्ति प्रभु चैतन्यसूर्य छे. चैतन्यनो प्रकाश अने राग अंधकार ए बन्ने भिन्नभिन्न छे. आ प्रमाणे यथार्थ उपदेश करी श्रीगुरु राग अने स्वभावनो भेद बतावी विवेक-भेदज्ञान करावे छे. बापु! मार्ग तो आवो छे. कोईने बेसे के न बेसे तेथी सत्य फरी जाय नहि.
जे रीते द्रष्टांतमां अज्ञानी पुरुष बीजाना वस्त्रने पोतानुं मानी सूतो छे तेने बीजो पुरुष के जेनुं वस्त्र छे ते ज्ञान करावे छे के-भाई! आ वस्त्र तारुं नथी, तुं भ्रमथी एने पोतानुं मानी बेठो छे. तेम अज्ञानी पण परभावरूप विकल्पोने-रागने पोताना मानी तेमां एकाकार थईने सूतो छे. तेने श्रीगुरु राग अने आत्मानो भेद करी विवेक करावे छे, अने एक आत्मभावरूप करे छे. श्रीगुरु समजावे छे के-भाई! ज्ञान अने आनंदथी भरेलो तुं प्रज्ञा ब्रह्म स्वरूपे छे. राग तारी पोतानी चीज नथी. जे चीज पोतानी होय ते जुदी पडे नहि अने जे जुदी पडे ते चीज पोतानी नहि. जो, आत्मा अंदर ध्यान करीने परमात्मा थाय छे त्यारे राग रहेतो नथी, राग छूटो पडी जाय छे. माटे जाणनार-देखनार आत्माथी ते भिन्न चीज छे. राग तारामां नथी अने तुं रागमां नथी. बन्ने चीज तद्न भिन्न भिन्न छे.