Pravachan Ratnakar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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गाथा ३प ] [ १८१ शिष्य सांभळेली वातने वारंवार विचारे छे, वारंवार एनुं ज घोलन करे छे. (आमां शिष्यनी जिज्ञासा अने रुचि सिद्ध थाय छे.)

पूर्ण वीतरागता अने सर्वज्ञताने प्राप्त ते जैन परमेश्वर छे. तेमनी दिव्यध्वनि ते आगम छे. ए दिव्यध्वनिमां एम आव्युं छे के-भगवान! तुं वीतराग-विज्ञानघन स्वरूपे छे. तारामां आनंद अने ज्ञाननी लक्ष्मी परिपूर्ण भरी पडी छे. तेमां तुं रागने एकरूप करी भेळवे छे ए तारो भ्रम छे. राग तो भगवान आत्माथी भिन्न चीज छे. माटे शीघ्र जाग अने रागथी भिन्न पडी स्वरूपमां सावधान था, आत्मद्रष्टि कर. भगवाननी वाणीमां आम आव्युं छे अने गणधरदेवोए पण जे श्रुत रच्यां एमां ए ज कह्युं छे. अहाहा! आमां देव सिद्ध कर्या, गुरु य सिद्ध कर्या, आगमनुं वाकय सिद्ध कर्युं अने रागथी भिन्न एकरूप आत्मामां द्रष्टि करतां सम्यग्दर्शन आदि धर्म थाय छे-एम धर्म पण सिद्ध कर्यो. अहो! देव, गुरु, शास्त्र अने धर्म सघळुंय सिद्ध करनारी आचार्य भगवाननी शुं गजब शैली छे! दिगंबर संतोनी बलिहारी छे के एमणे जगतमां परम सत्य टकावी राख्युं छे.

जुओ, श्रीगुरु कहे छे-शीघ्र जाग, सावधान था. एटले के अंदर झळहळज्योति चैतन्यमूर्ति भगवान छे एमां सावधान था. जे रागमां सावधानी छे ते छोडी दे, कारण के ते परद्रव्यनो भाव होवाथी तारी चीज नथी, परचीज छे. भगवान आत्मामां एवो कोई गुणशक्ति नथी के विकाररूपे परिणमे छतां तुं रागथी एक्ता माने छे ते भूल छे. आ भूल तारा उपादानथी थई छे, कोई कर्मे करावी छे एम नथी. भाई! तुं एक (ज्ञानमात्र) आत्मा रागनी साथे (भळीने) एकरूप थाय एवो छे ज नहि. एक आत्मा अने बीजो राग एम बे (द्वैत) थतां बगाड थाय छे. (एकडे एक अने बगडे बे). प्रभु! ज्यां तुं छे त्यां ते (राग) नथी अने ज्यां ते (राग) छे त्यां तुं नथी. आवा सिद्धांतना आगम-वाकयने गुरु वारंवार कहे छे अने अज्ञानी शिष्य वारंवार सांभळे छे. अहाहा! आगम कथन बहु टूंकुं अने सरळ छतां गंभीर अने महान छे. आ समयसार तो भगवाननी वाणी छे. तेमां थोडुं लख्युं छे पण घणुं करीने जाणवुं. जेम लग्न वखते लखे छे ने के थोडुं लख्युं घणुं करीने जाणजो.

हवे शिष्य ते सांभळीने समस्त (स्वपरनां) चिह्नोथी भली-भांति परीक्षा करे छे. मारुं लक्षण ज्ञान-आनंद छे अने रागनुं लक्षण जडता अने आकुळता छे. रागनुं अने मारुं लक्षण भिन्न भिन्न छे. हुं ज्ञान लक्षणे लक्षित छुं अने राग दुःख लक्षणे लक्षित छे. मोक्ष अधिकारनी २९४ मी गाथामां आवे छे के आत्मानुं लक्षण ज्ञान अने बंधनुं लक्षण राग छे. माटे बन्ने भिन्न भिन्न छे. गुरुनी वात सांभळीने अज्ञानी पोते सारी पेठे परीक्षा करे छे. (प्रमाद सेवतो नथी). गुरु कांई परीक्षा करावता नथी. पोते परीक्षा करे छे के-भगवान आत्मा ज्ञानस्वरूप, आनंदस्वरूप, शान्तिस्वरूप, धीरजस्वरूप छे अने