Pravachan Ratnakar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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भाग-१ ] ४१

समयसार (शास्त्र) वाचक छे अने एनुं वाच्य जे शुद्धात्मा तेने शब्दो बतावे छे. जेम साकर पदार्थ वाच्य छे अने साकर शब्द वाचक छे. वाचक-वाच्यनो अर्थ निमित्त-नैमित्तिक संबंध छे. भगवान आत्मा ध्रुव वाच्य छे-कहेवा लायक छे अने समयसारना शब्दो वाचक छे. बीजी रीते कहीए तो वाचक शब्दो वडे कहेलो जे आत्मा तेनुं ज्ञान जेने थाय ते ज्ञाननी पर्याय अभिधेयने जाणे छे. श्रुत जेम अभेद ध्येयने बतावे छे. एम ज्ञाननी पर्याय छे ए अभेद अभिधेयने जाणे छे. आ तो भगवाननो अलौकिक मार्ग छे, भाई. समयसार कळश २०० मां आवे छे के परद्रव्य अने आत्माने कांईपण संबंध नथी; तो कर्ता-कर्म संबंध कई रीते होय? हवे अहीं कहे छे के वाचक-वाच्यनो संबंध छे. ए व्यवहारथी छे. एटले के ग्रंथना शब्दो अने शुद्धात्माने वाचक-वाच्य संबंध कह्यो ते निमित्त -नैमित्तिक संबंध छे अने ते व्यवहार छे, निश्चयथी कोई संबंध नथी.

आ तो अनादि परमागम-शब्दब्रह्मथी अने भगवान केवळीनी वाणीथी प्रमाणित वात छे. भाई, आगम अनादि छे, हां. ए कांई नवुं नथी. ए परमागमना शब्दोनी शैली अनादि छे. कह्युं छे ने, के ‘सिद्धो वर्णसमाम्नायः’ आ वाणीनी कोई रचना करे छे एम नथी. वाणीमां पुद्गलनी पर्यायनी रचना अनादि छे. भगवान सर्वज्ञ परमेश्वरनी वाणी जे छे ए वाणीनी रचना तो वाणीना कारणे छे, केवळीए वाणीनी रचना नथी करी. दिव्यध्वनिनी रचना थई एमां केवळी निमित्त छे, तेथी निमित्तथी एम कह्युं के केवळीनुं कहेलुं छे. आवो निमित्तनैमित्तिक संबंध ए व्यवहार छे.

तीर्थंकरो श्रुतथी उपदेश आपे छे-एवो धवलमां पाठ छे. भगवान श्रुतज्ञानथी कहे छे. भगवाननी वाणी (दिव्य ध्वनि) छे ते श्रुतज्ञानथी कहे छे. केमके सांभळनारने (तेना निमित्ते) श्रुतज्ञान थाय छे, तेथी श्रुतज्ञानथी कहे छे एम कहेवामां आव्युं छे. भगवानने श्रुतज्ञान छे एम नथी, भगवानने तो केवळज्ञान छे. आशय एवो छे के सांभळनारने भावश्रुतज्ञान थाय छे-भले थाय छे पोताथी, पण वाणी निमित्त छे एथी ए पण श्रुत कहेवामां आवी छे. अनादि परमागम छे तेने द्रव्यश्रुत कहे छे. गणधरो सूत्रनी रचना करे छे, तथा भव्य जीवोने श्रुतज्ञान प्रगट थाय छे तेमां केवळीनी वाणी-दिव्यध्वनि निमित्त छे तेथी ते वाणीने पण श्रुत कहेवामां आवी छे.

शुद्ध आत्मानी प्राप्ति थवी ए प्रयोजन छे. एटले जे शुद्ध, ध्रुव आत्मा छे तेनो पर्यायमां अनुभव थाय ए प्रयोजन छे. वस्तु पोते जे छे-जीवती ज्योत तेने ज्ञानमां