कबूलवी ए प्रयोजन छे. जेवो आत्मा छे एवो कबूल्यो, त्यारे जीवती ज्योतने जीवती राखी-के आवो हुं शुद्ध, ध्रुव, चैतन्यज्योति छुं. आत्माना स्वरूपने आ सिवाय बीजी रीते माने एणे शुद्ध आत्मानुं (मान्यतामां) मृत्यु कर्युं छे. तेथी वस्तुनुं स्वरूप जेवुं छे तेवुं यथार्थ मानवुं अने अनुभववुं ए वास्तविक प्रयोजन छे.
ॐ ॐ ॐ