समयसार गाथा-४४ ] [ २प गाथा १४४मां आ निर्णयनी वात लीधी छे. भगवाने कहेला आगमथी प्रथम निर्णय करे के आत्मा ज्ञानस्वरूप ज छे. त्यार पछी मतिज्ञान अने श्रुतज्ञानने मर्यादामां लावी आत्मसन्मुख करे छे. ज्ञान जे पर तरफ ढळेलुं छे तेने स्व तरफ वाळे छे. त्यारे शुं थाय छे? अत्यंत विकल्परहित थईने तत्काळ निजरसथी ज प्रगट थता, आदि-मध्य-अंत रहित, अनाकुळ, केवळ एक, आखाय विश्वना उपर जाणे के तरतो होय तेम अखंड प्रतिभासमय, अनंत विज्ञानघन, परमात्मारूप समयसारने आत्मा अनुभवे छे.
रागथी भिन्न आत्माने अनुभवे नहि अने राग वडे लाभ (धर्म) माने ते बहारथी कंचन-कामिनीनो त्यागी निर्वस्त्र दिगंबर अवस्थाधारी होय तोपण तेने साधु केम कहीए? रागथी लाभ मानवो ए तो मिथ्यादर्शन छे. आ कोई व्यक्ति-विशेषना अनादरनी वात नथी पण वस्तुनी स्थितिनी वात छे. अमने घणां शास्त्रोनो अभ्यास छे, अमे घणी शास्त्रसभाओ संबोधी छे तेथी अमने आत्मज्ञान छे एम कोई कहे तो ते यथार्थ नथी. ए तो बधी रागनी- विकल्पनी वातो छे. वस्तु आत्मा तो शास्त्रज्ञानना विकल्पथी पार निर्विकल्प छे. आवा निर्विकल्प शुद्ध चैतन्यमय आत्मानी द्रष्टि करी तेनो अनुभव करवो ते आत्मदर्शन अने आत्मज्ञान छे.
आ प्रमाणे अध्यवसानने एटले रागादि विभागने जीव माननारने आगम, युक्ति अने अनुभवथी जूठो ठराव्यो. आ एक बोल थयो. हवे बीजो बोल कहे छेः-
अनादि जेनो पूर्व अवयव छे अने अनंत जेनो भविष्यनो अवयव छे एवी जे एक संसरणरूप क्रिया ते-रूपे क्रीडा करतुं जे कर्म छे ते पण जीव नथी कारण के कर्मथी जुदो अन्य चैतन्यस्वभावरूप जीव भेदज्ञानीओ वडे स्वयं उपलभ्यमान छे अर्थात् तेओ तेने प्रत्यक्ष अनुभवे छे.
केवळी भगवाने कर्मने जीव कह्यो नथी ए आगम थयुं. तथा काळपथी-मेलपथी जेम सोनुं जुदुं छे तेम कर्मथी आत्मा जुदो छे ए युक्ति थई. अने भेदज्ञानीओ कर्मथी जुदो जे चैतन्यस्वभावी जीव छे तेने प्रत्यक्ष अनुभवे छे ए अनुभव थयो. टीकामां एम लीधुं छे के- संसरणरूप क्रिया एटले रागनी क्रियामां कर्म क्रीडा करे छे, रागमां आत्मा क्रीडा करतो नथी.
प्रत्यक्ष चैतन्यभावने जुदो अनुभवे तेने सम्यग्दर्शनादि धर्म कहीए. ए सम्यग्दर्शन विना बहारथी व्रतादि धारण करी एम मानवा लागे के अमे संयमी छीए एने पोतानी खोटी मान्यतानुं भारे नुकशान थाय छे. एनी (नुकशाननी) एने खबर न होय ए तेनुं अज्ञान छे. पण ए अज्ञान कांई बचावनुं साधन होई न शके. जेम झेरना पीवाथी मरी जवाय तेम शुभकर्मना सेवनथी पण आत्मानो घात ज थाय. एनी