३० ] [ प्रवचन रत्नाकर भाग-३ कर्मनो अनुभव छे, आत्मानो नहि. ए सुख-दुःखमां चैतन्यस्वरूप आत्मा नथी. ए शाता- अशातानो अनुभव ए आत्मा नथी. आत्मा तो सुख-दुःखथी भिन्न चैतन्यस्वभावमय वस्तु छे.
एक धर्मी सिवाय, आखुं जगत पागल छे, घेलुं छे-कारण के ते दुःखने सुख माने छे, जे सुख नथी तेने सुख माने छे. रंकथी मांडीने मोटो राजा अने एकेन्द्रियथी मांडीने पंचेन्द्रिय सुधीना सौ जीवो सुखदुःखनी कल्पनामां राची रह्या छे. ए सघळी पागलोनी नात छे. परंतु सुख-दुःखनी कल्पनाथी भिन्न पडी अनंत सुखनुं धाम जे शुद्ध चैतन्यस्वभावमय वस्तु छे एमां द्रष्टि करे तो स्वयं अर्थात् प्रत्यक्ष आनंदनो अनुभव थाय छे. अहाहा! सुख-दुःखथी जुदो अन्य चैतन्यस्वरूप जीव छे एम प्रत्यक्ष अनुभवमां आवे छे. केवळीने ज प्रत्यक्ष थाय एम नहि. चोथा गुणस्थाने पण स्वसंवेदनथी आत्मा प्रत्यक्ष अनुभवाय छे. सम्यग्दर्शन थतां भेदज्ञानीओने मति-श्रुतज्ञानथी आत्मा प्रत्यक्ष वेदनमां आवे छे.
प्रथम सम्यग्दर्शन अने सम्यग्ज्ञान होवां जोईए. आत्मा वस्तु स्वसंवेदनप्रत्यक्ष थई न होय अने व्रत, नियम अने संयममां लागी जाय तो ए सघळी क्रिया एकडा विनानां मींडां जेवी छे. एवा जीवो क्रियाना अभिमानमां चढी जाय छे. वळी कहे के-अशुभ करतां तो शुभ सारुं छे. पण भाई! ए तो व्यवहारथी एम कहेवाय, निश्चयथी तो शुभभाव पण झेर छे. जे संसारमां दाखल करे तेने सारो केम कहेवाय?
हवे सातमो बोल कहे छेः-शीखंडनी जेम उभयात्मकपणे मळेलां जे आत्मा अने कर्म ते बन्ने मळेलां पण जीव नथी. जेम दहीं अने साकर बे मळीने शीखंड छे तेम आत्मा अने कर्म ए बे थईने जीव छे एम नथी. भगवान आत्मा तो चैतन्यस्वरूप प्रभु छे अने राग अने कर्म वगेरे तो जड अचेतनस्वरूप छे. तेथी जीव अने कर्म बन्ने भिन्नभिन्न छे. परंतु जेम हाथी चूरमु अने घास बन्नेने भेगां करीने खाय छे तेम अज्ञानी कर्म अने आत्माने एक करीने अनुभवे छे.
कोई पुरुष स्त्री साथे विषय भोग करे छे त्यां खरेखर ए स्त्रीना शरीरने भोगवतो- अनुभवतो नथी. शरीर तो जड, अजीव छे; मांस, हाड अने चामडांनी थेली छे. ज्यारे भगवान आत्मा तो अंदर स्पर्शादि रहित शुद्ध चिद्रूप वस्तु छे. भोगकाळे एने आ ठीक छे एवो जे राग थाय ते रागने ए अनुभवे छे. त्यां आत्मा अने राग भेगा छे एम नथी. पण अज्ञानवश एम माने छे के आने (रागने) हुं भोगवुं छुं. जेम कूतरुं हाडकुं चावे त्यारे हाडकानी कणी दाढमां वागे त्यारे त्यांथी लोही नीकळे छे. ए लोहीनो स्वाद आवतां ते हाडकानो स्वाद आवे छे तेम ते माने छे. तेम शरीर तो हाड, मांस, चामडुं अने विष्टाथी भरेलुं छे. एनो स्पर्श थतां ए ठीक छे एवो एने राग थाय छे. ए