Pravachan Ratnakar-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 566 of 4199

 

४८ ] [ प्रवचन रत्नाकर भाग-३ तेम. त्रस-स्थावर जीवोनुं निःशंकपणे मर्दन (घात) करवामां पण हिंसानो अभाव ठरशे अने तेथी बंधनो ज अभाव ठरशे.

जुओ, परमार्थे तो जीव शरीरथी भिन्न ज छे. परंतु व्यवहारथी जीव अने शरीरने निमित्त-नैमित्तिक संबंध छे. निश्चयथी तो जीव ज्ञानमात्र वस्तु छे. एकेन्द्रिय, बेइन्द्रिय, आदि जे छकाय छे ते परमार्थे जीव नथी. परंतु एकेन्द्रिय, बेइन्द्रिय आदि जे छकायनी पर्याय छे ते व्यवहारथी जीव छे के नहि? ते व्यवहारथी जीव छे एम अहीं सिद्ध करे छे. छे हेय पण हेय पण छे तो खरो ने? जे ‘छे’ ते हेय होय के जे ‘नथी’ ते हेय होय?

एकेन्द्रिय आदि पर्याय व्यवहारथी जीव छे एम न मानवामां आवे तो, (एवो व्यवहार न मानवामां आवे तो) जेम भस्म एटले राखने मसळी नाखवामां हिंसानो-पापनो अभाव छे तेम त्रस-स्थावर जीवोनो, ते व्यवहारथी जीव छे एम नहि मानवाथी, घात करवाना भावमां पण हिंसानो भाव सिद्ध नहि थाय; एमां हिंसानो अभाव ठरशे अने तेथी बंधनो ज अभाव ठरशे. अहीं त्रस-स्थावर जीवोनो घात आत्मा करी शके छे ए प्रश्न नथी. परंतु जो एकेन्द्रियादि पर्यायने जीव न मानवामां आवे तो तेमनो घात करुं एवो जे भाव थाय ते भावमां हिंसानो भाव सिद्ध नहि थाय, हिंसानो अभाव ठरशे एम वात छे. तथा शरीर अने जीव तद्न एक ज छे एम अहीं मानवुं नथी, पण शरीर अने जीवने (संश्लेष संबंध छे) निमित्त-नैमित्तिक संबंध छे ए व्यवहार अहीं बताववो छे.

द्रव्य पोते निश्चय छे अने जे निश्चय मोक्षमार्गनी पर्याय छे ए व्यवहार छे. जो पर्याय ज नथी एम कहो तो निश्चय मोक्षमार्ग ज सिद्ध नहि थाय. श्री परमार्थ वचनिकामां आवे छे के शुद्ध द्रव्य अक्रियरूप ते निश्चय छे अने साचो मोक्षमार्ग साधवो ते व्यवहार छे. मोक्षमार्ग पण पर्याय छे ने? तेथी ते व्यवहार छे. ए प्रमाणे निश्चय-व्यवहारनुं स्वरूप सम्यग्द्रष्टि जाणे छे पण मूढ जीव जाणे नहि अने माने पण नहि. जो व्यवहार न होय तो पर्याय छे, राग छे, एकेन्द्रियादि जीव छे, जीवने शरीर साथे निमित्त-नैमित्तिक संबंध छे इत्यादि कशुंय सिद्ध नहि थाय.

आगळ (गाथा ४७ मां) समजाववा माटे उदाहरण आप्युं छे के एक योजनमां राजा जई रह्यो छे. त्यां राजा कांई एक योजनमां व्यापेलो नथी, पण तेनी सेना एक योजनमां फेलाएली छे. त्यां सेनाने राजा साथे संबंध छे. तेथी राजा एक योजनमां जई रह्यो छे एम कहेवामां आवे छे. तेम भगवान आत्मा तो निश्चयथी एकरूप छे, पण रागादि तेनी पर्यायमां व्यापे छे. तेथी आत्माने रागादि थाय छे एम कहेवामां आवे छे-ए व्यवहार छे.