Pravachan Ratnakar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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समयसार गाथा-प७ ] [ १३३

* श्री समयसार गाथा–प७ मथाळुं *

हवे वळी पूछे छे के वर्णादिक निश्चयथी जीवना केम नथी? ए रंग, गंध अने गुणस्थान आदि निश्चयथी केम जीवना नथी तेनुं कारण कहो. ते प्रश्ननो उत्तर कहे छेः-

* गाथा प७ः टीका उपरनुं प्रवचन *

जेम-जळमिश्रित दूधनो, जळ साथे परस्पर अवगाहस्वरूप संबंध छे. एटले के पाणीमां दूध अने दूधमां पाणी एम परस्पर भेगा रहेवानो अवगाहरूप संबंध छे. छतां स्वलक्षणभूत जे दूधपणुं-गुण ते वडे व्याप्त होवाने लीधे दूध, जळथी अधिकपणे प्रतीत थाय छे. दूधनुं स्वलक्षण दूधपणुं जे गुण छे ते वडे व्याप्त होवाने लीधे दूध, जळथी भिन्न प्रतीतमां आवे छे एम कहे छे. अधिक एटले जुदुं, भिन्न. तेथी जेवो अग्निनो उष्णता साथे तादात्म्यस्वरूप संबंध छे तेवो जळ साथे दूधनो संबंध नथी. जळने तथा दूधने परस्पर अवगाहसंबंध छे, पण अग्नि-उष्णतानी जेम तादात्म्यस्वरूप संबंध नथी. माटे निश्चयथी जळ, दूधनुं नथी.

तेवी रीते-आत्मा अने रंग-गंध आदि पुद्गल, राग-द्वेषादि विकार तथा गुणस्थान आदि भेद-ने परस्पर एकबीजाने अवगाहस्वरूप संबंध होवा छतां, स्वलक्षणभूत उपयोगगुण वडे व्याप्त होवाने लीधे आत्मा सर्वथी अधिक एटले जुदो प्रतीति थाय छे. भगवान आत्मा जाणन-देखनरूप उपयोगगुण वडे बीजाथी अधिक एटले जुदो छे. जेम दूधपणा वडे दूध, जळथी भिन्न छे तेम उपयोगगुण वडे आत्मा सर्व अन्यभावोथी भिन्न छे. जेम अग्नि अने उष्णतानो तादात्म्यस्वरूप संबंध छे तेम भगवान आत्माने वर्णथी मांडी गुणस्थानांत भावो साथे तादात्म्यस्वरूप संबंध नथी. बन्ने वच्चे अवगाह संबंध छे, पण तादात्म्य संबंध नथी. माटे निश्चयथी वर्णथी मांडी गुणस्थान पर्यंतना भावो, आत्माना नथी. जाणवुं, जाणवुं, जाणवुं एवो जे जीवनो स्वभाव छे ते वडे जीव राग, द्वेष तथा गुणस्थान आदि भेदना भावोथी भिन्न छे. अहाहा! उपयोगरूप जे त्रिकाळी स्वभाव छे तेनुं पर्यायमां लक्ष थतां, उपयोग वडे ते परथी जुदो पडे छे.

निश्चयथी त्रिकाळ उपयोग अर्थात् ज्ञानगुण ते जीवनुं स्वभावभूत लक्षण छे. गाथा ३१मां आवी गयुं छे के-ज्ञानस्वभाव वडे आत्मा अधिक छे. परंतु त्रिकाळ ज्ञानस्वभाव वडे ते परथी जुदो छे एनो निर्णय कोण करे छे? स्वभाव तरफ ढळेली पर्याय एम निर्णय करे छे के आ आत्मा ज्ञानगुण वडे परथी अधिक-जुदो छे. त्रिकाळी जीवनुं लक्षण त्रिकाळ उपयोग छे, पण उपयोगलक्षण जीव छे एम जाणे छे कोण? त्रिकाळ उपयोग कांई न जाणे. (ए तो अक्रिय छे). परंतु एमां ढळेली पर्याय जाणे छे के उपयोगलक्षण जीव छे. अहाहा! आ तो द्रव्य-गुण अने पर्यायनी व्याख्या स्पष्ट करे छे.