समयसार गाथा-प८ थी ६० ] [ १४१
निश्चयथी, सदाय जेनो अमूर्तस्वभाव छे अने जे उपयोग गुण वडे अन्यथी अधिक छे एवा आत्माने ते सर्व भावो नथी. जोयुं? उपरोक्त बधाय भावो मूर्त कह्या अने भगवान आत्मा अरूपी-अमूर्त वस्तु छे एम कह्युं. अहाहा! आत्मा जाणवाना स्वभाववाळुं अरूपी चैतन्यतत्त्व छे अने ते सर्व भेदनी पर्यायथी भिन्न छे एम कहे छे. गुणस्थान, जीवस्थान, मार्गणास्थान आदिनी, एक समयनी पर्यायमां स्थिति देखीने, तेओ जीवना छे एम व्यवहारथी कह्युं, छतां सदाय जेनो अमूर्त स्वभाव छे एवा चैतन्यभगवानमां तेओ नथी. आ भावो तो पहेलां पुद्गलना परिणाममय कह्या छे. तेथी तेओ मूर्त छे. अने भगवान आत्मा अरूपी- अमूर्त छे. तेथी त्रिकाळ अमूर्तस्वभावी आत्मा ते मूर्तभावोथी भिन्न छे, जुदो छे. अहाहा! शुं समयसार छे! कहे छे के-भेद, निमित्त, संसार, भूलनो संबंध तो एक समय पूरतो ज छे. भेदमां, भूलमां, संसारमां ते एक समय पूरतो ज अटकेलो छे. बस, आटलो ज एक समयनो संबंध जोईने ते जीवना छे एम व्यवहारथी कहेल छे. निश्चयथी, उपयोगगुण वडे जे सर्व अन्यथी अधिक छे ते आत्मामां भेद आदि छे ज नहि.
अनंतकाळथी-अनादिथी आत्मानी साथे राग, मिथ्यात्व छे. तेथी अज्ञानीने एम लागे छे के संसार तो जाणे अनंतकाळथी छे. तेने अहीं कहे छे के-भाई! संसार अनादिथी छे ते प्रवाहनी अपेक्षाए छे. बाकी खरेखर तो जीवने संसारनी साथे एक समय पूरतो ज संबंध छे. ८४ना अनंत अवतार कर्या तोपण संबंध एक समयनो ज छे. आ संयमलब्धिना भेदरूप भाव पण एक समय पूरता ज छे. तेओ वस्तुमां कयां छे? अहा! केवी शैली लीधी छे! आत्मानो सदाय अमूर्त स्वभाव छे अने ते उपयोगगुण वडे अन्य भावोथी भिन्न छे. माटे वर्तमान पर्यायने अंतरमां वाळतां, उपयोग गुण वडे ते जुदो पडी जाय छे, अर्थात् भेद साथे संबंध रहेतो नथी.
अनंतकाळथी प्रवाहरूप संसार भले हो, तोपण तेनी साथे जीवने अनंतकाळनो संबंध नथी, पण एक समयनो ज संबंध छे. त्रिकाळी भगवान आनंदनो नाथ चैतन्य महाप्रभु छे. तेने गमे तेटलो लांबो संसार हो, अरे ७० क्रोडाक्रोडी सागरोपम कर्मनी स्थिति हो, पण संबंधनी स्थिति तो एक समय पूरती छे. ज्ञानावरणीय कर्मनी स्थिति ३० क्रोडाक्रोडी सागरनी छे एम जे कह्युं छे ए तो आखो सरवाळो करीने कह्युं छे. बाकी संबंध तो एक समय पूरतो ज छे. राग हो, मिथ्यात्व हो, गुणस्थानना भेद हो के जीवस्थानना भेद हो, ए सर्व साथे एक समयनो ज संबंध छे. वर्तमान एक समयनो संबंध छे तेथी ते अपेक्षाए ते भेदो जीवना छे एम व्यवहारथी कह्युं; तथापि स्वभावनी द्रष्टिथी जोतां, ते भेदो निश्चयथी जीवने नथी. एक समयनी पर्यायना संबंधमां अटकेली द्रष्टि गुलांट खाईने, ज्ञानगुणे हुं अधिक छुं एम ज्यारे स्वभाव पर स्थिर थाय छे त्यारे, ते एक समयनो संबंध रहेतो नथी.