Pravachan Ratnakar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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भाग-१ ] ९१

प्रमत्त अने अप्रमत्त ए तो पर्यायना भेदो छे अने ते अशुद्धनयनो विषय छे. पहेलेथी छ गुणस्थान पर्यंतनी पर्यायो प्रमत्त छे अने सातमेथी चौद गुणस्थान पर्यंतनी पर्यायो ते अप्रमत्त छे. आमां हवे कई पर्यायो बाकी रही गई? भगवान आत्मा आ सघळी अप्रमत्त अने प्रमत्त एवी पर्यायोना भेदथी रहित शुद्धनयस्वरूप एक ज्ञायकभाव छे. आगळ अगियारमी गाथामां एने ज भूतार्थ कहेलो छे. अहो! जे द्रष्टिनो विषय छे अर्थात् सम्यग्दर्शननो विषय छे ते आ ज्ञायकभाव अप्रमत्त नथी अने प्रमत्त पण नथी; ए रीते एने शुद्ध कहेवाय छे.

वळी जे ज्ञायकपणे जणायो ते तो ते ज छे, बीजो कोई नथी. अहीं ज्ञायकने जाणनार पर्यायनी वात करी. ज्ञायकने जाणनारी पर्याय ज्ञायकनी पोतानी ज छे, ए पर्यायनो कर्ता पोते ज छे. ज्ञाननी पर्याय ते अन्य ज्ञेयनुं कार्य छे वा निमित्तनुं कार्य छे एम नथी. पोते ज्ञायकभाव जे पर्यायमां जणायो तेमां भले-ज्ञेयनुं ज्ञान होय, पण ए ज्ञान ज्ञेयनुं कार्य नथी, पोतानुं कार्य छे.

अहाहा...!! भगवान, तुं अनादिअनंत नित्यानंदस्वरूप एक पूर्ण ज्ञायकभाव छुं जेमां पर्यायनो-भेदनो अभाव छे. तेथी तुं शुद्ध छे-एम कहेवाय छे. एटले परद्रव्य अने तेना भावो तथा कर्मना उदयादिनुं लक्ष छोडी ज्यां द्रष्टि त्रिकाळी ज्ञायकभाव उपर गई के परिणति शुद्ध थई. ए शुद्ध परिणमनमां ज्ञायक शुद्ध छे एम जणायुं एने शुद्ध छे एम कहे छे, खाली शुद्ध छे, शुद्ध छे एम कहेवामात्र नथी. आ ज्ञायकभावने जाणवो, अनुभववो ए सर्व सिद्धांतनो सार छे. दोलतरामजीए कह्युं छे ने केः-

लाख बातकी बात यहै, निश्चय उर लावो;
तोडी सकल जग–दंद–फंद, निज आतम ध्यावो.

अरे! भगवान, तें तारी जातने जाणी नहीं! भगवान श्री कुंदकुंदाचार्यनो आ संदेश छे के भगवान आत्मा नित्यध्रुव, त्रिकाळ एकरूप, परम पारिणामिकभावरूप ज्ञायकरूप छे, शुद्ध छे, पवित्र छे, प्रगट छे. पण कोने? के परनुं लक्ष छोडी जेणे अंतरसन्मुख थई एक आ ज्ञायकभावनी सेवा-उपासना करी तेने पर्यायमां सम्यग्दर्शन-ज्ञान तथा चारित्रनो अंश प्रगट थयो. त्यारे तेने ज्ञायकभाव परमशुद्ध छे एम जणायुं. तेने ज्ञायक शुद्ध छे एम कहेवामां आवे छे. ज्ञायकभावनी द्रष्टि थतां जे शुद्धता प्रगटी एने ए शुद्धतामां स्वनुं अने परनुं ज्ञान परिणमनरूप थयुं. ए ज्ञान परनुं-निमित्तनुं के ज्ञेयनुं कार्य छे एम नथी. पोताना ज्ञाननी पर्याय जे परिणमी तेनो कर्ता पोते छे अने जे पर्याय परिणमी ते एनुं पोतानुं कार्य छे.