श्री प्रवचन रत्नो-१ ११
आहा... हा! हजी पहेली शुं चीज छे, ई समजवाने पण वखत ल्ये नहीं! आहा.. हा! आवो जे अपार स्वभावने पर्याय, एनो पत्तो अंदर लागे, जे ज्ञानने श्रद्धा एनो पत्तो ल्ये, एने रागमां रस ऊडी जाय. राग ऊडी जाय एम नहीं, राग रहे. समजाणुं कांई..?
आहा..! आवा जे अनंता गुणो अने अनंती पर्यायो, छेडा विनानी, छेल्ला विनानी, अवी ‘द्रव्यनी द्रष्टि’ जेने थाय, एना अस्तित्वनो स्वीकार थाय, एना रस आडे एने रागमां रस रहे नहीं.
राग तो ए अमुकगुणनी पर्याय छे अने आंही तो अनंता.. अनंता.. छेडो नहीं जेनो (एटला गुणो) आहा.. हा! झीणुं बहु बापु!
वीतराग मारगनी प्रथम सम्यग्दर्शन ज शुं चीज छे ई.. गजब वात छे. आहाहा! एना विना रखडी मर्यो छे चोराशीना अवतारमां! आहा.. हा.. ए अबजोपति, शेठिया कहेवाय! ए मरीने गधेडां थाय! कूतरां थाय! केमके धर्म शुं चीज छे ई अंतरमां खबर नथी. अने मांस आदि खाता न होय तो ई नर्कमां तो न जाय. सिद्धांतमां ई लेख छे अंदर के बधां जवाना ढोर-तिर्यंचमां! आहा...! जेवुं स्वरूप छे, एवुं जेणे जाण्युं नथी, मान्युं नथी, ओळख्युं नथी, एना विरोधी भावो.. जे आडां, विकारीभावो ने आडोडाई करीने कर्यां छे ए आडोडाई एटले टेढाई थई गई छे. ए मरीने आडोडाई, तीर्यंचना शरीरमां जवाना.. कारण के तीर्यंचना शरीर आम आडां छे! मनुष्यनां आम ऊभां छे. गाय, भेंस खीसकोली आदिना आम आडा छे. आहा..! ई मोटी संख्या ई छे!! एनी संख्या त्यां पूरवाना छे.
आहा.. हा! आंही बीजुं कहेवुं छे के कर्मना प्रदेशमां स्थित छे ते बधा गुणो तो विकारी पर्यायमां स्थित नथी. एकवात! अने कर्म जे छे परमाणुओ, ई तो विभावरूपे परिणमेल छे. एक परमाणु स्वभावरूपे छे. अने आ तो विभाव रूपे परिणमेल छे. विभावरूपे परिणमनमां कर्मरूपे बधा गुणो (परमाणुना) परिणम्या छे एम नथी. समजाणुं कांई..?
जेम सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्रनी पर्यायना परिणमनमां सर्वगुणो अशंतःपणे परिणम्या छे. एम विकारपणे बघा गुणो परिणम्या छे परमाणुमां एम नथी, आत्मामां पण एम छे. आत्मामां पण अशुद्धपणुं जे छे, बधा गुणो अशुद्धपणे थाय छे एम नथी. केटलाक गुणो अशुद्ध थाय बाकी तो शुद्ध रहे. केटलाक गुणो अभवीने पण शुद्ध रहे छे पर्यायमां. जेम अस्तित्व गुण! अस्तित्वनुं अशुद्ध शुं थवुं? ‘होवुं’ ओछुं थई जवुं? वात समजाय छे?
आहा.. हा! ई तो आमां एक प्रदेशत्व नामनो गुण छे सामान्यमां ए विकाररूपे परिणमे ई ए ते बे परमाणु, चार परमाणुरूपे थाय त्यारे एकलो नहीं. आहा.. हा.. हा! ते कर्मपणे परिणमेला पर्यायो, एमां पण परमाणुमां जेटला गुणो छे ए बधा कर्मपणे परिणम्या नथी. अमुक ज गुणनी पर्यायो कर्मपणे थई छे.
आहा..! एमां जे रोकायेलो छे जीव! आम अनंतगुणोमां न आवतां अनंता पर्यायो कर्मना रसनी छे त्यां अटकयो छे ते परसमय एटले अणात्मा छे.
आडाई करे! विरोध अर्थ करे, विरुद्ध श्रद्धा करे! आत्माथी विरोध, विकारना भाव करे..!