श्री प्रवचन रत्नो-१ १३ एकपणे करे आहाहाहा! छे? ‘ते समय छे’
फरीने...!
करवुं परिणमवुं अने जाणवुं, एवी बे क्रिया एकसमयमां जे करे तेने समय’ कहेवामां आवे छे.
‘समय’ केम ओळख्यो? पूछयुं तुं ते दि’ दिल्ही! ‘समय’ केम कह्यो? अरे.. कीधुंः वस्तुनुं स्वरूप छे ‘समय’ = सम् + अय, समय कीधुं. आहा.. हा! आत्माने ‘समय’ केम कह्यो? के एकपणे.. परिणमे अने जाणे, एकसमयमां एक पणे बे क्रिया करे तेने ‘समय’ कहेवामां आवे छे. ए ‘समय’ ते आत्मा छे. ए आत्मा ज परिणमे अने जाणे! बीजा पदार्थोमां परिणमन-गमन छे पण ‘जाणवुं’ नथी. गमननी अपेक्षाए बीजाने ‘समय’ कहेवाय.
पण, आंही तो ‘जाणवुं ने गमन करवुं’ बे अर्थमां जे होय तेने ‘समय’ कहीए. आहा.. हा! पछी स्वसमय लेशे. आ ‘समय’ कोने कहीए (ते व्याख्या करी) आहा..! ‘आ जीव नामनो पदार्थ ए समयनो अर्थ कर्यो हवे जीवनी हारे मेळवे छे. ‘आ जीव नामनो पदार्थ एकत्वपूर्वक / एकत्वपूर्वक सुधार्युं छे. ‘एक ज वखते’ - एकत्वपूर्वक एक ज काळे ‘परिणमे पण छे अने जाणे पण छे तेथी ते समय छे’ - तेथी तेने ‘समय’ आत्माने कहेवामां आवे छे.
जाणवानुं कार्य पण करे अने परिणमे, एकी साथे बे करे! आहा.. हा! समय एक! बे क्रिया! परिणमवानी ने जाणवानी...!! ‘एकसाथे’ केम कह्युं के परिणमे पहेलो ने जाणे पछी, एम नहीं. परिणमवुं ने जाणवुं एक ज समये छे. आहा.. हा! एकत्वपूर्वक ज करे! बे ने एकपणे करीने करे! आहा.. हा!
आवी झीणी वात छे. समयसार समजवुं-सांभळवुं बापु! आकरुं काम छे. बाकी तो बधु दुनिया करे छे आखी! ढोरनी जेम मेहनतुं करे छे ढोरनी जेम बधां! आखो दि रागने आ ने आ ने..! ढोर थवाना ने ढोर जेवी महेनतुं करे छे.
(श्रोताः) पैसावाळा एमां आवी जाय? (उत्तरः) पैसाना बाप होय, अबजोपति बधां ढोर थवानां! पशु! कागडानां कागडी थवानां, बकराना बच्चां थवानां, ढेढगरोळीनी कूंखे ढेढगरोळी थाशे! बापु! वस्तुस्वरूप एवुं छे.
आहा.. हा! अरे एणे जाण्युं ने जोयुं छे क्यां? एने दरकार क्यां छे? आहा..! अनंतकाळ वीती गयो प्रभु! तें आ रीते ऊंधाई करी छे. आहा... हा! भगवान आत्मा! अनंतगुणनुं परिणमन एकसमये अने ज्ञान-जाणवुं एकसमये! बीजां अनंतागुणो परिणमे छे पण जाणतां नथी.
आहा.. हा! एक समयमां एटले के सूक्ष्मकाळमां भगवान आत्माना जे अनंतगुणो जे छेडा विनाना ने छेल्ला विनाना कीधां, एबधा गुणोनुं एक समयमां परिणमन, बदलवुं, हलचल थवी, ध्रुव छे एमां हलचल नथी. उत्पाद-व्ययमां हलचल छे. एटले ई ध्रुव, ध्रुवपणे रही अने अनंतागुणोनुं हलचल नाम परिणमन थाय अने ते ज वखते ज्ञान जाणवानुं काम करे एने आत्मा कहीए!
अरे! प्रभु, आवुं क्यां छे भाई...! अनंत काळना, असंख्य क्षेत्रमां, अनंत वार ऊपज्यो!