Pravachansar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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सर्वेषामेव भावानामसंहरणिरेव भवेत्; सदुच्छेदे वा संविदादीनामप्युच्छेदः स्यात् तथा केवलां स्थितिमुपगच्छन्त्या मृत्तिकाया व्यतिरेकाक्रान्तस्थित्यन्वयाभावादस्थानिरेव भवेत्, क्षणिक- नित्यत्वमेव वा तत्र मृत्तिकाया अस्थानौ सर्वेषामेव भावानामस्थानिरेव भवेत्; क्षणिकनित्यत्वे वा चित्तक्षणानामपि नित्यत्वं स्यात् तत उत्तरोत्तरव्यतिरेकाणां सर्गेण पूर्वपूर्वव्यतिरेकाणां संहारेणान्वयस्यावस्थानेनाविनाभूतमुद्योतमाननिर्विघ्नत्रैलक्षण्यलाञ्छनं द्रव्य- मवश्यमनुमन्तव्यम् ।।१००।। मृत्पिण्डाभावस्य इव उप्पादो वि य भंगो ण विणा दव्वेण अत्थेण परमात्मरुचिरूपसम्यक्त्व- स्योत्पादस्तद्विपरीतमिथ्यात्वस्य भङ्गो वा नास्ति कं विना तदुभयाधारभूतपरमात्मरूपद्रव्यपदार्थं विना कस्मात् द्रव्याभावे व्ययोत्पादाभावान्मृत्तिकाद्रव्याभावे घटोत्पादमृत्पिण्डभङ्गाभाववदिति यथा सम्यक्त्वमिथ्यात्वपर्यायद्वये परस्परसापेक्षमुत्पादादित्रयं दर्शितं तथा सर्वद्रव्यपर्यायेषु द्रष्टव्य-


भावोनो संहार ज न थाय (अर्थात् जेम मृत्तिकापिंडनो व्यय न थाय तेम विश्वना कोई पण द्रव्यमां कोई पण भावनो व्यय ज न थाय ए दोष आवे); अथवा (२) जो सत्नो उच्छेद थाय तो चैतन्य वगेरेनो पण उच्छेद थाय (अर्थात् सर्व द्रव्योनो समूळगो विनाश थाय ए दोष आवे).

वळी केवळ स्थिति प्राप्त करवा जनारी मृत्तिकानी, व्यतिरेको सहित स्थितिनो अन्वयनोतेने अभाव थवाने लीधे, स्थिति ज न थाय; अथवा तो क्षणिकनुं ज नित्यपणुं थाय. त्यां, (१) जो मृत्तिकानी स्थिति न थाय तो बधाय भावोनी स्थिति ज न थाय (अर्थात् जो माटी ध्रुव न रहेन टके, तो माटीनी जेम विश्वनुं कोई पण द्रव्य ध्रुव ज न रहेटके ज नहि ए दोष आवे); अथवा (२) जो क्षणिकनुं नित्यपणुं थाय तो चित्तना क्षणिक भावोनुं पण नित्यपणुं थाय (अर्थात् मननो दरेक विकल्प पण त्रिकाळिक ध्रुव बने ए दोष आवे).

माटे द्रव्यने उत्तर उत्तर व्यतिरेकोना सर्ग साथे, पूर्व पूर्व व्यतिरेकोना संहार साथे अने अन्वयना अवस्थान साथे अविनाभाववाळुं, जेने निर्विघ्न (अबाधित) त्रिलक्षण- पणारूप लांछन प्रकाशमान छे एवुं, अवश्य संमत करवुं. १००.

१९प्रवचनसार[ भगवानश्रीकुंदकुंद-

१. केवळ स्थिति = (उत्पाद अने व्यय विनानुं) एकलुं ध्रुवपणुं; एकलुं टकवापणुं; एकलुं अवस्थान. [अन्वय व्यतिरेको सहित ज होय छे तेथी ध्रौव्य उत्पादव्ययसहित ज होय, एकलुं होई शके
नहि. जेम उत्पाद (अथवा व्यय) द्रव्यनो अंश छे
समग्र द्रव्य नथी, तेम ध्रौव्य पण द्रव्यनो अंश छेसमग्र द्रव्य नथी.]

२. उत्तर उत्तर = पछी पछीना
३. अवस्थान = टकवुं ते; ध्रुव रहेवुं ते.
४.लांछन = चिह्न