Pravachansar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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२०प्रवचनसार[ भगवानश्रीकुंदकुंद-
किलाश्रित्य वर्तिनी निर्गुणैकगुणसमुदिता विशेषणं विधायिका वृत्तिस्वरूपा च सत्ता भवति,
न खलु तदनाश्रित्य वर्ति गुणवदनेकगुणसमुदितं विशेष्यं विधीयमानं वृत्तिमत्स्वरूपं च द्रव्यं
भवति; यत्तु किलानाश्रित्य वर्ति गुणवदनेकगुणसमुदितं विशेष्यं विधीयमानं वृत्तिमत्स्वरूपं च
द्रव्यं भवति, न खलु साश्रित्य वर्तिनी निर्गुणैकगुणसमुदिता विशेषणं विधायिका वृत्तिस्वरूपा
च सत्ता भवतीति तयोस्तद्भावस्याभावः
अत एव च सत्ताद्रव्ययोः कथंचिदनर्थान्तरत्वेऽपि
संज्ञादिरूपेण तन्मयं न भवति कधमेगं तन्मयत्वं हि किलैकत्वलक्षणं संज्ञादिरूपेण तन्मयत्वाभावे
कथमेकत्वं, किंतु नानात्वमेव यथेदं मुक्तात्मद्रव्ये प्रदेशाभेदेऽपि संज्ञादिरूपेण नानात्वं कथितं तथैव
आश्रये रहेती, निर्गुण, एक गुणनी बनेली, विशेषण, विधायक (-रचनारी) अने
वृत्तिस्वरूप एवी जे सत्ता छे ते कोईना आश्रय विना रहेतुं, गुणवाळुं, अनेक गुणोनुं
बनेलुं, विशेष्य, विधीयमान (-रचानारुं) अने वृत्तिमानस्वरूप एवुं द्रव्य नथी, तथा
जे कोईना आश्रय विना रहेतुं, गुणवाळुं, अनेक गुणोनुं बनेलुं, विशेष्य, विधीयमान अने
वृत्तिमानस्वरूप एवुं द्रव्य छे ते कोईना आश्रये रहेती, निर्गुण, एक गुणनी बनेली,
विशेषण, विधायक अने वृत्तिस्वरूप एवी सत्ता नथी, तेथी तेमने तद्भावनो अभाव
छे. आम होवाथी ज, जोके सत्ता अने द्रव्यने कंथचित्
अनर्थांतरपणुं (-अभिन्न-
पदार्थपणुं, अनन्यपदार्थपणुं) छे तोपण, तेमने सर्वथा एकत्व हशे एम शंका न करवी;
१. निर्गुण = गुण विनानी. [सत्ता निर्गुण छे, द्रव्य गुणवाळुं छे. जेम केरी वर्णगुणवाळी, गंधगुणवाळी,

स्पर्शगुणवाळी वगेरे छे, परंतु वर्णगुण कोई गंधगुणवाळो, स्पर्शगुणवाळो के अन्य कोई गुणवाळो नथी (कारण के वर्ण कांई सूंघातो के स्पर्शातो नथी); वळी जेम आत्मा ज्ञानगुणवाळो, वीर्यगुणवाळो वगेरे छे, परंतु ज्ञानगुण कांई वीर्यगुणवाळो के अन्य कोई गुणवाळो नथी; तेम द्रव्य अनंत गुणोवाळुं छे, परंतु सत्ता गुणवाळी नथी. (अहीं, जेम दंडी दंडवाळो छे, तेम द्रव्यने गुणवाळुं न समजवुं; कारण के दंडी अने दंडने तो प्रदेशभेद छे, द्रव्य ने गुण तो अभिन्नप्रदेशी छे.)] २. विशेषण = खासियत; लक्षण; भेदक धर्म. ३. विधायक = विधान करनार; रचनार. ४. वृत्ति = वर्तवुं ते; होवुं ते; हयाती; उत्पादव्ययध्रौव्य. ५. विशेष्य = खासियतोनो धरनार पदार्थ; लक्ष्य; भेद्य पदार्थधर्मी. [जेम गळपण, सफेदपणुं, सुंवाळप

वगेरे साकरनां विशेषणो छे अने साकर ते विशेषणोथी विशेषित थतो (ते ते खासियतोथी ओळखातो,

ते ते भेदोथी भेदातो) पदार्थ छे, वळी जेम ज्ञान, दर्शन, चारित्र, वीर्य वगेरे आत्मानां विशेषणो छे अने आत्मा ते विशेषणोथी विशेषित थतो (ओळखातो, लक्षित थतो, भेदातो) पदार्थ छे, तेम सत्ता विशेषण छे अने द्रव्य विशेष्य छे. (विशेष्य अने विशेषणोने प्रदेशभेद नथी ए ख्याल न चूकवो.)] ६. विधीयमान = रचानारुं; जे रचातुं होय ते. (सत्ता वगेरे गुणो द्रव्यना रचनारा छे अने द्रव्य तेमनाथी

रचातो पदार्थ छे.) ७. वृत्तिमान = वृत्तिवाळुं; हयातीवाळुं; हयात रहेनार. (सत्ता वृत्तिस्वरूप अर्थात् हयातीस्वरूप छे अने

द्रव्य हयात रहेनारस्वरूप छे.)