Pravachansar-Gujarati (Devanagari transliteration). Gatha: 107.

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कहानजैनशास्त्रमाळा ]
ज्ञेयतत्त्व-प्रज्ञापन
२०७
सर्वथैकत्वं न शङ्कनीयं; तद्भावो ह्येकत्वस्य लक्षणम् यत्तु न तद्भवद्विभाव्यते तत्कथमेकं
स्यात् अपि तु गुणगुणिरूपेणानेकमेवेत्यर्थः ।।१०६।।
अथातद्भावमुदाहृत्य प्रथयति
सद्दव्वं सच्च गुणो सच्चेव य पज्जओ त्ति वित्थारो
जो खलु तस्स अभावो सो तदभावो अतब्भावो ।।१०७।।

सर्वद्रव्याणां स्वकीयस्वकीयस्वरूपास्तित्वगुणेन सह ज्ञातव्यमित्यर्थः ।।१०६।। अथातद्भावं विशेषेण विस्तार्य कथयतिसद्दव्वं सच्च गुणो सच्चेव य पज्जओ त्ति वित्थारो सद्द्रव्यं संश्च गुणः संश्चैव पर्याय इति सत्तागुणस्य द्रव्यगुणपर्यायेषु विस्तारः तथाहियथा मुक्ताफलहारे सत्तागुण- कारण के तद्भाव एकत्वनुं लक्षण छे. जे ‘ते’-पणे जणातुं नथी ते (सर्वथा) एक केम होय? नथी ज; परंतु गुण -गुणीरूपे अनेक ज छे एम अर्थ छे.

भावार्थःभिन्नप्रदेशत्व ते पृथक्पणानुं लक्षण छे अने अतद्भाव ते अन्य- पणानुं लक्षण छे. द्रव्यने अन गुणने पृथक्पणुं नथी छतां अन्यपणुं छे.

प्रश्नःजेओ अपृथक् होय तेमनामां अन्यपणुं केम होइ शके?
उत्तरःवस्त्र अने सफेदपणानी माफक तेमनामां अन्यपणुं होई शके छे. वस्त्रना

अने तेना सफेदपणाना प्रदेशो जुदा नथी तेथी तेमने पृथक्पणुं तो नथी. आम होवा छतां सफेदपणुं तो मात्र आंखथी ज जणाय छे, जीभ, नाक वगेरे बाकीनी चार इन्द्रियोथी जणातुं नथी, अने वस्त्र तो पांचे इन्द्रियोथी जणाय छे. माटे (कथंचित्) वस्त्र ते सफेदपणुं नथी अने सफेदपणुं ते वस्त्र नथी. जो एम न होय तो वस्त्रनी माफक सफेदपणुं पण जीभ, नाक वगेरे सर्व इन्द्रियोथी जणावुं जोईए; पण एम तो बनतुं नथी. माटे वस्त्र अने सफेदपणाने अपृथक्पणुं होवा छतां अन्यपणुं छे एम सिद्ध थाय छे.

ए ज प्रमाणे द्रव्यने अने सत्तादिगुणोने अपृथक्त्व होवा छतां अन्यत्व छे; कारण के द्रव्यना अने गुणना प्रदेशो अभिन्न होवा छतां द्रव्यमां अने गुणमां संज्ञासंख्या लक्षणादि भेद होवाथी (कथंचित्) द्रव्य ते गुणपणे नथी अने गुण ते द्रव्यपणे नथी. १०६.

हवे अतद्भावने उदाहरणपूर्वक विस्तारे छेः
‘सत् द्रव्य’, ‘सत् पर्याय,’ ‘सत् गुण’सत्त्वनो विस्तार छे;
नथी ते -पणे अन्योन्य तेह अतत्पणुं ज्ञातव्य छे.१०७.