Pravachansar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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विषयानुक्रमणिका
विषयगाथा
विषयगाथा
सर्व प्रकारे स्व -परना विवेकनी सिद्धि
आचार्यभगवान साम्यनुं धर्मत्व सिद्ध करीने
आगमथी करवायोग्य छे एम
उपसंहार करे छे.
९०
‘हुं स्वयं साक्षात् धर्म ज छुं’ एवा
भावमां निश्चळ टके छे.
९२

जिनोदित अर्थोना श्रद्धान विना धर्मलाभ

थतो नथी.९१
(२) ज्ञेयत˚व -प्रज्ञापन

विषयगाथा

विषयगाथा
ुव्यसामान्य अधिकार
पृथक्त्व अने अन्यत्वनुं लक्षण१०६
अतद्भावने उदाहरण वडे स्पष्ट रीते

पदार्थोनुं सम्यक् द्रव्यगुणपर्यायस्वरूप९३

दर्शावे छे१०७

स्वसमय -परसमयनी व्यवस्था नक्की करीने

सर्वथा अभाव ते अतद्भावनुं लक्षण नथी. १०८
सत्ता अने द्रव्यनुं गुण -गुणीपणुं सिद्ध

उपसंहार करे छे.९४ द्रव्यनुं लक्षण९५

करे छे.१०९

स्वरूप -अस्तित्वनुं कथन९६ साद्रश्य -अस्तित्वनुं कथन९७

गुण ने गुणीना अनेकपणानुं खंडन११०

द्रव्योथी द्रव्यांतरनी उत्पत्ति होवानुं अने

द्रव्यने सत् -उत्पाद अने असत् -उत्पाद

द्रव्यथी सत्तानुं अर्थांतरपणुं होवानुं खंडन करे छे.९८

होवामां अविरोध सिद्ध करे छे.१११
सत् -उत्पादने अनन्यपणा वडे अने

उत्पादव्ययध्रौव्यात्मक होवा छतां द्रव्य

असत् -उत्पादने अन्यपणा वडे
नक्की करे छे.
११२

‘सत्’ छे एम दर्शावे छे.९९ उत्पाद, व्यय अने ध्रौव्यनो परस्पर

एक द्रव्यने अन्यत्व अने अनन्यत्व

अविनाभाव द्रढ करे छे.१००

होवामां अविरोध दर्शावे छे.११४

उत्पादादिकनुं द्रव्यथी अर्थांतरपणुं नष्ट

सर्व विरोधने दूर करनारी सप्तभंगी

करे छे.१०१

प्रगट करे छे.११५

उत्पादादिकनो क्षणभेद निरस्त करीने

जीवने मनुष्यादिपर्यायो क्रियानां फळ होवाथी

तेओ द्रव्य छे एम समजावे छे. १०२

ते पर्यायोनुं अन्यत्व प्रकाशे छे.११६

द्रव्यनां उत्पाद -व्यय -ध्रौव्य अनेकद्रव्यपर्याय

मनुष्यादिपर्यायोमां जीवने स्वभावनो पराभव

तथा एकद्रव्यपर्याय द्वारा विचारे छे. १०३

कया कारणे थाय छे तेनो निर्धार११८

सत्ता अने द्रव्य अर्थांतरो नहि होवा

जीवनुं द्रव्यपणे अवस्थितपणुं होवा छतां

विषे युक्ति१०५

पर्यायोथी अनवस्थिपणुं११९

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