वस्थलक्ष्योन्मुखालक्ष्योन्मुखप्राक्तनविशिखवत् स्वद्रव्यक्षेत्रकालभावैर्युगपत्स्वपरद्रव्यक्षेत्रकाल-
भावैश्चास्तित्ववदवक्त व्यम् ७ । नास्तित्वावक्तव्यनयेनानयोमयागुणकार्मुकान्तरालवर्त्यसंहिता-
वस्थालक्ष्योन्मुखायोमयानयोमयगुणकार्मुकान्तरालवर्त्यगुणकार्मुकान्तरालवर्तिसंहितावस्थासंहिता- वस्थलक्ष्योन्मुखालक्ष्योन्मुखप्राक्तनविशिखवत् परद्रव्यक्षेत्रकालभावैर्युगपत्स्वपरद्रव्यक्षेत्रकाल- भावैश्च नास्तित्ववदवक्त्व्यम ८ । अस्तित्वनास्तित्वावक्तव्यनयेनायोमयगुणकार्मुकान्तराल-
वर्तिसंहितावस्थलक्ष्योन्मुखानयोमयागुणकार्मुकान्तरालवर्त्यसंहितावस्थालक्ष्योन्मुखायोमयानयो-
भूतम् । तदेवाशुद्धसद्भूतव्यवहारनयेनाशुद्धस्पर्शरसगन्धवर्णानामाधारभूतव्द्यणुकादिस्कन्धवन्मतिज्ञानादि-
विभावगुणानामाधारभूतम् । अनुपचरितासद्भूतव्यवहारनयेन व्द्यणुकादिस्कन्धेषु संश्लेशबन्धस्थित-
तीरनी माफक. [जेम पहेलांनुं तीर (१) स्वचतुष्टयनी तथा (२) एकीसाथे स्वपरचतुष्टयनी अपेक्षाथी (१) लोहमयादि तथा (२) न कही शकाय एवुं छे, तेम आत्मा अस्तित्व- अवक्तव्यनये (१) स्वचतुष्टयनी तथा (२) युगपद् स्वपरचतुष्टयनी अपेक्षाथी (१) अस्तित्ववाळो तथा (२) अवकतव्य छे.] ७.
आत्मद्रव्य नास्तित्व -अवक्तव्यनये परद्रव्य -क्षेत्र -काळ -भावथी तथा युगपद् स्व- परद्रव्य -क्षेत्र -काळ -भावथी नास्तित्ववाळुं -अवक्तव्य छे; — (परचतुष्टयथी) अलोहमय, दोरी ने कामठाना अंतराळमां नहि रहेला, संधायेली अवस्थामां नहि रहेला अने अलक्ष्योन्मुख एवा तथा (युगपद् स्वपरचतुष्टयथी) लोहमय तेम ज अलोहमय, दोरी ने कामठाना अंतराळमां रहेला तेम ज दोरी ने कामठाना अंतराळमां नहि रहेला, संधायेली अवस्थामां रहेला तेम ज संधायेली अवस्थामां नहि रहेला अने लक्ष्योन्मुख तेम ज अलक्ष्योन्मुख एवा पहेलांना तीरनी माफक. [जेम प्रथमनुं तीर (१) परचतुष्टयनी तथा (२) एकीसाथे स्वपरचतुष्टयनी अपेक्षाथी (१) अलोहमयादि तथा (२) अवक्तव्य छे, तेम आत्मा नास्तित्व -अवक्तव्यनये (१) परचतुष्टयनी तथा (२) युगपद् स्वपरचतुष्टयनी अपेक्षाथी (१) नास्तित्ववाळो तथा (२) अवक्तव्य छे.] ८. आत्मद्रव्य अस्तित्व -नास्तित्व -अवक्तव्यनये स्वद्रव्य -क्षेत्र -काळ -भावथी, परद्रव्य -क्षेत्र- काळ -भावथी तथा युगपद् स्वपरद्रव्य -क्षेत्र -काळ -भावथी अस्तित्ववाळुं -नास्तित्ववाळुं- अवक्तव्य छे; — (स्वचतुष्टयथी) लोहमय, दोरी ने कामठाना अंतराळमां रहेला, संधायेली अवस्थामां रहेला अने लक्ष्योन्मुख एवा, (परचतुष्टयथी) अलोहमय, दोरी ने कामठाना अंतराळमां नहि रहेला, संधायेली अवस्थामां नहि रहेला अने अलक्ष्योन्मुख एवा तथा (युगपद् स्वपरचतुष्टयथी) लोहमय तेम ज अलोहमय, दोरी ने कामठाना अंतराळमां रहेला तेम ज दोरी ने कामठाना अंतराळमां नहि रहेला, संधायेली अवस्थामां रहेला तेम ज संधायेली अवस्थामां नहि रहेला अने लक्ष्योन्मुख तेम ज अलक्ष्योन्मुख एवा पहेलांना तीरनी माफक. [जेम पहेलांनुं तीर (१) स्वचतुष्टयनी, (२) परचतुष्टयनी तथा (३) युगपद् स्वपरचतुष्टयनी अपेक्षाथी (१) लोहमय, (२) अलोहमय तथा