Pravachansar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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४९६प्रवचनसार[ भगवानश्रीकुंदकुंद-
मयगुणकार्मुकान्तरालवर्त्यगुणकार्मुकान्तरालवर्तिसंहितावस्थासंहितावस्थलक्ष्योन्मुखालक्ष्योन्मुख-
प्राक्त नविशिखवत्
स्वद्रव्यक्षेत्रकालभावैः परद्रव्यक्षेत्रकालभावैर्युगपत्स्वपरद्रव्यक्षेत्रकालभावैश्चास्ति-
त्वनास्तित्ववदवक्त व्यम् ९ विकल्पनयेन शिशुकुमारस्थविरैकपुरुषवत् सविकल्पम् १०
अविकल्पनयेनैकपुरुषमात्रवदविकल्पम् ११ नामनयेन तदात्मवत् शब्दब्रह्मामर्शि १२
स्थापनानयेन मूर्तित्ववत् सकलपुद्गलालम्बि १३ द्रव्यनयेन माणवकश्रेष्ठिश्रमणपार्थिव-
वदनागतातीतपर्यायोद्भासि १४ भावनयेन पुरुषायितप्रवृत्तयोषिद्वत्तदात्वपर्यायोल्लासि १५
पुद्गलपरमाणुवत्परमौदारिकशरीरे वीतरागसर्वज्ञवद्वा विवक्षितैकदेहस्थितम् उपचरितासद्भूतव्यवहारनयेन
काष्ठासनाद्युपविष्टदेवदत्तवत्समवसरणस्थितवीतरागसर्वज्ञवद्वा विवक्षितैकग्रामगृहादिस्थितम् इत्यादि
परस्परसापेक्षानेकनयैः प्रमीयमाणं व्यवह्रियमाणं क्रमेण मेचकस्वभावविवक्षितैकधर्मव्यापकत्वादेक-
(३) अवक्तव्य छे, तेम आत्मा अस्तित्व -नास्तित्व -अवक्तव्यनये (१) स्वचतुष्टयनी,
(२) परचतुष्टयनी तथा (३) युगपद् स्वपरचतुष्टयनी अपेक्षाथी (१) अस्तित्ववाळो,
(२) नास्तित्ववाळो तथा (३) अवक्तव्य छे.] ९.

आत्मद्रव्य विकल्पनये, बाळक, कुमार अने वृद्ध एवा एक पुरुषनी माफक, सविकल्प छे (अर्थात् आत्मा भेदनये, भेद सहित छे, जेम एक पुरुष, बाळक, कुमार अने वृद्ध एवा भेदवाळो छे तेम). १०.

आत्मद्रव्य अविकल्पनये, एक पुरुषमात्रनी माफक, अविकल्प छे (अर्थात् अभेदनये आत्मा अभेद छे, जेम एक पुरुष बाळक -कुमार -वृद्ध एवा भेदो विनानो एक पुरुषमात्र छे तेम). ११.

आत्मद्रव्य नामनये, नामवाळानी माफक, शब्दब्रह्मने स्पर्शनारुं छे (अर्थात् आत्मा नामनये शब्दब्रह्मथी कहेवाय छे, जेम नामवाळो पदार्थ तेना नामरूप शब्दथी कहेवाय छे तेम). १२.

आत्मद्रव्य स्थापनानये, मूर्तिपणानी माफक, सर्व पुद्गलोने अवलंबनारुं छे (अर्थात् स्थापनानये आत्मद्रव्यनी पौद्गलिक स्थापना करी शकाय छे, मूर्तिनी माफक). १३.

आत्मद्रव्य द्रव्यनये, बाळक शेठनी माफक अने श्रमण राजानी माफक, अनागत अने अतीत पर्याये प्रतिभासे छे (अर्थात् आत्मा द्रव्यनये भावी अने भूत पर्यायरूपे ख्यालमां आवे छे, जेम बाळक शेठपणास्वरूप भावी पर्यायरूपे ख्यालमां आवे छे अने मुनि राजास्वरूप भूत पर्यायरूपे ख्यालमां आवे छे तेम). १४.

आत्मद्रव्य भावनये, पुरुष समान प्रवर्तती स्त्रीनी माफक, तत्काळना (वर्तमान) पर्यायरूपे उल्लसेप्रकाशेप्रतिभासे छे (अर्थात् आत्मा भावनये वर्तमान पर्यायरूपे प्रकाशे छे, जेम पुरुष समान प्रवर्तती स्त्री पुरुषत्वरूप पर्यायरूपे प्रतिभासे छे तेम). १५.