आत्मद्रव्य सामान्यनये, हार – माळा – कंठीना दोरानी माफक, व्यापक छे (अर्थात् आत्मा सामान्यनये सर्व पर्यायोमां व्यापे छे, जेम मोतीनी माळानो दोरो सर्व मोतीमां व्यापे छे तेम). १६.
आत्मद्रव्य विशेषनये, तेना एक मोतीनी माफक, अव्यापक छे (अर्थात् आत्मा विशेष- नये अव्यापक छे, जेम पूर्वोक्त माळानुं एक मोती आखी माळामां अव्यापक छे तेम). १७.
आत्मद्रव्य नित्यनये, नटनी माफक, अवस्थायी छे (अर्थात् आत्मा नित्यनये नित्य – टकनारो छे, जेम राम -रावणरूप अनेक अनित्य स्वांग धरतो होवा छतां पण नट तेनो ते ज नित्य छे तेम). १८.
आत्मद्रव्य अनित्यनये, राम -रावणनी माफक, अनवस्थायी छे (अर्थात् आत्मा अनित्यनये अनित्य छे, जेम नटे धारण करेला राम -रावणरूप स्वांग अनित्य छे तेम). १९.
आत्मद्रव्य सर्वगतनये, खुल्ली राखेली आंखनी माफक, सर्ववर्ती (बधामां व्यापनारुं) छे. २०.
आत्मद्रव्य असर्वगतनये, मींचेली आंखनी माफक, आत्मवर्ती (पोतामां रहेनारुं) छे. २१.
आत्मद्रव्य शून्यनये, शून्य (खाली) घरनी माफक, एकलुं (अमिलित) भासे छे. २२. आत्मद्रव्य अशून्यनये, लोकोथी भरेला वहाणनी माफक, मिलित भासे छे. २३. आत्मद्रव्य ज्ञानज्ञेय -अद्वैतनये (ज्ञान अने ज्ञेयना अद्वैतरूप नये), मोटा इंधनसमूहरूपे परिणत अग्निनी माफक, एक छे. २४.
आत्मद्रव्य ज्ञानज्ञेयद्वैतनये, परनां प्रतिबिंबोथी संपृकत दर्पणनी माफक, अनेक छे (अर्थात् आत्मा ज्ञान अने ज्ञेयना द्वैतरूप नये अनेक छे, जेम पर -प्रतिबिंबोना संगवाळो अरीसो अनेकरूप छे तेम). २५.
आत्मद्रव्य नियतिनये नियत स्वभावे भासे छे, जेने उष्णता नियमित (नियत) होय छे एवा अग्निनी माफक. [आत्मा नियतिनये नियतस्वभाववाळो भासे छे, जेम प्र. ६३