सम्बन्धोऽस्ति, यतः शुद्धात्मस्वभावलाभाय सामग्रीमार्गणव्यग्रतया परतंत्रैर्भूयते ।।१६।। समाश्रियमाणत्वात्संप्रदानं भवति । तथैव पूर्वमत्यादिज्ञानविकल्पविनाशेऽप्यखण्डितैकचैतन्य- प्रकाशेनाविनश्वरत्वादपादानं भवति । निश्चयशुद्धचैतन्यादिगुणस्वभावात्मनः स्वयमेवाधारत्वादधिकरणं भवतीत्यभेदषट्कारकीरूपेण स्वत एव परिणममाणः सन्नयमात्मा परमात्मस्वभाव-
भावार्थः — कर्ता, कर्म, करण, संप्रदान, अपादान अने अधिकरण — ए छ कारकोनां नाम छे. जे स्वतंत्रपणे (स्वाधीनपणे) करे ते कर्ता; कर्ता जेने पहोंचे — प्राप्त करे ते कर्म; साधकतम अर्थात् उत्कृष्ट साधन ते करण; कर्म जेने देवामां आवे अथवा जेना माटे करवामां आवे ते संप्रदान; जेमांथी कर्म करवामां आवे एवी ध्रुव वस्तु ते अपादान; जेमां अर्थात् जेना आधारे कर्म करवामां आवे ते अधिकरण. आ छ कारको व्यवहार अने निश्चय एम बे प्रकारनां छे. ज्यां परना निमित्तथी कार्यनी सिद्धि कहेवामां आवे त्यां व्यवहार कारको छे अने ज्यां पोताना ज उपादान कारणथी कार्यनी सिद्धि कहेवामां आवे त्यां निश्चय कारको छे.
व्यवहार कारकोनुं द्रष्टांत आ प्रमाणे छेः कुंभार कर्ता छे; घडो कर्म छे; दंड, चक्र, दोरी वगेरे करण छे; जळ भरनार माटे कुंभार घडो करे छे तेथी जळ भरनार संप्रदान छे; टोपलामांथी माटी लईने घडो करे छे तेथी टोपलो अपादान छे; जमीनना आधारे घडो करे छे तेथी जमीन अधिकरण छे. आमां बधांय कारको जुदां जुदां छे. अन्य कर्ता छे, अन्य कर्म छे, अन्य करण छे, अन्य संप्रदान, अन्य अपादान अने अन्य अधिकरण छे. परमार्थे कोई द्रव्य कोईनुं कर्ताहर्ता थई शक्तुं नथी माटे आ व्यवहार छ कारको असत्य छे. तेओ मात्र उपचरित असद्भूत व्यवहारनयथी कहेवामां आवे छे. निश्चयथी कोई द्रव्यने अन्य द्रव्य साथे कारकपणानो संबंध छे ज नहि.
निश्चय कारकोनुं द्रष्टांत आ प्रमाणे छेः माटी स्वतंत्रपणे घडारूप कार्यने पहोंचे छे — प्राप्त करे छे तेथी माटी कर्ता छे अने घडो कर्म छे; अथवा, घडो माटीथी अभिन्न होवाथी माटी पोते ज कर्म छे; पोताना परिणमनस्वभावथी माटीए घडो कर्यो तेथी माटी पोते ज करण छे; माटीए घडारूप कर्म पोताने ज आप्युं तेथी माटी पोते ज संप्रदान छे; माटीए पोतानामांथी पिंडरूप अवस्था नष्ट करीने घडारूप कर्म कर्युं अने पोते तो ध्रुव रही तेथी पोते ज अपादान छे; माटीए पोताना ज आधारे घडो कर्यो तेथी पोते ज अधिकरण छे. आ रीते निश्चयथी छ ये कारको एक ज द्रव्यमां छे. परमार्थे एक द्रव्य बीजाने सहाय नहि करी शकतुं होवाथी अने द्रव्य पोते ज, पोताने, पोतानाथी, पोताने माटे, पोतानामांथी, पोतानामां करतुं होवाथी आ निश्चय छ कारको ज परम सत्य छे.
उपर्युक्त रीते द्रव्य पोते ज पोतानी अनंत शक्तिरूप संपदाथी परिपूर्ण होवाथी पोते ज छ कारकरूप थईने पोतानुं कार्य निपजाववाने समर्थ छे; तेने बाह्य सामग्री कांई