Pravachansar-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 8 of 544

 

[ 2 ]
गुजराती पद्यानुवाद हरिगीतछंदमां कर्यो छे ते घणो मधुर, स्पष्ट अने सरळ भाषामां छे. आथी
आ शास्त्र मुमुक्षुओने संपूर्णपणे उपयोगी थाय तेवुं सुंदर बन्युं छे. आ रीते आ अनुवादकार्य भाईश्री
हिंमतलालभाईए सर्वांगे पार उतार्युं छे, ए जणावतां ट्रस्टने घणो ज आनंद थाय छे.

भाईश्री हिंमतलालभाई अध्यात्मरसिक, शांत, विवेकी, गंभीर अने वैराग्यशाळी सज्जन छे, ए उपरांत उच्च केळवणी पामेल अने संस्कृतमां प्रवीण छे. आ पहेलां ग्रंथाधिराज श्री समयसारनो गुजराती अनुवाद पण तेमणे ज कर्यो छे अने हवे नियमसारनो अनुवाद पण तेओ ज करवाना छे. आ रीते श्री कुंदकुंदभगवाननां समयसार, प्रवचनसार अने नियमसार जेवां सर्वोत्कृष्ट परमागम शास्त्रोनो अनुवाद करवानुं परम सौभाग्य तेमने मळ्युं छे, तेथी तेओ खरेखर धन्यवादने पात्र छे.

आ शास्त्रनो गुजराती अनुवाद तेमणे एवो सुंदर कर्यो छे के ते माटे आ ट्रस्ट तेमनो जेटलो उपकार माने तेटलो ओछो छे. आ कार्यथी तो आखा जैनसमाज उपर तेमनो उपकार छे. ए कहेवानी भाग्ये ज जरूर छे केजो आ काम तेमणे हाथमां न लीधुं होत तो आपणे आ सर्वोत्कृष्ट शास्त्र आपणी मातृभाषामां प्राप्त करी शक्या न होत. अनुवाद माटे गमे तेटला पैसा खर्चवामां आवे तोपण बीजाथी आवुं सुंदर कार्य थई शकत नहिएम आ संस्था खातरीपूर्वक जणावे छे. भाईश्री हिंमतलालभाईए कोई पण प्रकारनी आर्थिक सहायता लीधा वगर, मात्र जिनवाणीमाता प्रत्येनी भक्तिथी प्रेराईने आ कार्य करी आप्युं छे. आ कार्य माटे संस्था तेमनी ॠणी छे. आ अनुवादमां अने हरिगीत गाथाओमां तेमणे पोताना आत्मानो संपूर्ण रस रेडी दीधो छे. तेमणे लखेला उपोद्घातमां तेमना अंतरनुं प्रतिबिंब देखाई आवे छे. तेओ लखे छे के ‘आ अनुवाद में प्रवचनसार प्रत्येनी भक्तिथी अने गुरुदेवश्रीनी प्रेरणाथी प्रेराईने निज कल्याण अर्थे, भवभयथी डरतां डरतां कर्यो छे.’

आ अनुवाद -कार्यमां घणी ज कीमती सेवा भाईश्री खीमचंद जेठालाल शेठे तथा ब्रह्मचारी भाईश्री चंदुलाल खीमचंद झोबाळियाए आपी छे, ते माटे तेमनो उपकार प्रदर्शित करवानी रजा लउं छुं. अने बीजा पण जे जे भाईओए आ कार्यमां मदद आपी छे ते सर्वनो आभार मानवानी रजा लउं छुं.

मुमुक्षुओ आ शास्त्रनो बराबर अभ्यास करी, तेना अंतरना भावोने यथार्थपणे समजो अने तेमां कहेला शुद्धोपयोग -धर्मरूपे पोताना आत्माने परिणमावो.

वकील रामजी माणेकचंद दोशी

श्रावण वद २ वीर सं. २४७४ वि. सं. २००४

प्रमुख,
श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट,
सोनगढ
❀❀❀❀❀