Pravachansar (Hindi).

< Previous Page   Next Page >


Page 201 of 513
PDF/HTML Page 234 of 546

 

background image
तयैकमेव वस्तु, न वस्त्वन्तरं, तथा द्रव्यं स्वयमेव पूर्वावस्थावस्थितगुणादुत्तरावस्थावस्थित-
गुणं परिणमत्पूर्वोत्तरावस्थावस्थितगुणाभ्यां ताभ्यामनुभूतात्मसत्ताकं पूर्वोत्तरावस्थावस्थित-
गुणाभ्यां सममविशिष्टसत्ताकतयैकमेव द्रव्यं, न द्रव्यान्तरम्
यथैव चोत्पद्यमानं पाण्डुभावेन
व्ययमानं हरितभावेनावतिष्ठमानं सहकारफलत्वेनोत्पादव्ययध्रौव्याण्येकवस्तुपर्यायद्वारेण
सहकारफलं, तथैवोत्पद्यमानमुत्तरावस्थावस्थितगुणेन व्ययमानं पूर्वावस्थावस्थितगुणेनावतिष्ठमानं
द्रव्यत्वगुणेनोत्पादव्ययध्रौव्याण्येकद्रव्यपर्यायद्वारेण द्रव्यं भवति
।।१०४।।
गुणात् केवलज्ञानोत्पत्तिबीजभूतात्सकाशात्सकलविमलकेवलज्ञानगुणान्तरम् कथंभूतं सत्परिणमति
सदविसिट्ठं स्वकीयस्वरूपत्वाच्चिद्रूपास्तित्वादविशिष्टमभिन्नम् तम्हा गुणपज्जाया भणिया पुण दव्वमेव त्ति
तस्मात् कारणान्न केवलं पूर्वसूत्रोदिताः द्रव्यपर्यायाः द्रव्यं भवन्ति, गुणरूपपर्याया गुणपर्याया भण्यन्ते
तेऽपि द्रव्यमेव भवन्ति
अथवा संसारिजीवद्रव्यं मतिस्मृत्यादिविभावगुणं त्यक्त्वा श्रुतज्ञानादि-
कहानजैनशास्त्रमाला ]
ज्ञेयतत्त्व -प्रज्ञापन
२०१
प्र. २६
सत्तावाला होनेसे एक ही वस्तु है, अन्य वस्तु नहीं; इसीप्रकार द्रव्य स्वयं ही पूर्व
अवस्थामें अवस्थित गुणमेंसे उत्तर अवस्थामें अवस्थित गुणरूप परिणमित होता हुआ, पूर्व
और उत्तर अवस्थामें अवस्थित उन गुणोंके द्वारा अपनी सत्ताका अनुभव करता है,
इसलिये पूर्व और उत्तर अवस्थामें अवस्थित गुणोंके साथ अवशिष्ट सत्तावाला होनेसे एक
ही द्रव्य है, द्रव्यान्तर नहीं
(आमके दृष्टान्तकी भाँति, द्रव्य स्वयं ही गुणकी पूर्व पर्यायमेंसे उत्तरपर्यायरूप
परिणमित होता हुआ, पूर्व और उत्तर गुणपर्यायोंके द्वारा अपने अस्तित्वका अनुभव करता
है, इसलिये पूर्व और उत्तर गुणपर्यायोंके साथ अभिन्न अस्तित्व होनेसे एक ही द्रव्य है
द्रव्यान्तर नहीं; अर्थात् वे वे गुणपर्यायें और द्रव्य एक ही द्रव्यरूप हैं, भिन्न -भिन्न द्रव्य
नहीं हैं
)
और, जैसे पीतभावसे उत्पन्न होता हरितभावसे नष्ट होता और आम्रफलरूपसे स्थिर
रहता होनेसे आम्रफल एक वस्तुकी पर्यायों द्वारा उत्पाद -व्यय -ध्रौव्य है, उसीप्रकार उत्तर
अवस्थामें अवस्थित गुणसे उत्पन्न, पूर्व अवस्थामें अवस्थित गुणसे नष्ट और द्रव्यत्व गुणसे
स्थिर होनेसे, द्रव्य एकद्रव्यपर्यायके द्वारा उत्पाद -व्यय -ध्रौव्य है
भावार्थ :इससे पूर्वकी गाथामें द्रव्यपर्यायके द्वारा (अनेक द्रव्यपर्यायोंके द्वारा)
द्रव्यके उत्पाद -व्यय -ध्रौव्य बताये गये थे इस गाथामें गुणपर्यायके द्वारा (एक-
द्रव्यपर्यायके द्वारा) द्रव्यके उत्पाद -व्यय -ध्रौव्य बताये गये हैं ।।१०४।।
१. पूर्व अवस्थामें अवास्थित गुण = पहलेकी अवस्थामें रहा हुआ गुण; गुणकी पूर्व पर्याय; पूर्व गुणपर्याय।