यौगपद्यप्रवृत्ता हेमनिष्पादिका अन्वयशक्तिः संक्रामतो हेम्नोऽसद्भावनिबद्ध एव प्रादुर्भावः ।
मासाद्यान्वयशक्तित्वमापन्नाः पर्यायान् द्रवीकुर्युः, तथांगदादिपर्यायनिष्पादिकाभिस्ताभि-
स्ताभिर्व्यतिरेकव्यक्तिभिर्यौगपद्यप्रवृत्तिमासाद्यान्वयशक्तित्वमापन्नाभिरंगदादिपर्याया अपि हेमी-
क्रियेरन् । द्रव्याभिधेयतायामपि सदुत्पत्तौ द्रव्यनिष्पादिका अन्वयशक्तयः क्रमप्रवृत्तिमासाद्य
जितनी टिकनेवाली, युगपत् प्रवर्तमान, सुवर्णकी उत्पादक अन्वयशक्तियोंको प्राप्त सुवर्णके
असद्भावयुक्त ही उत्पाद है ।
अब, पर्यायोंकी अभिधेयता (कथनी) के समय भी, असत् -उत्पादमें पर्यायोंको उत्पन्न करनेवाली वे -वे व्यतिरेकव्यक्तियाँ युगपत् प्रवृत्ति प्राप्त करके अन्वयशक्तिपनेको प्राप्त होती हुई पर्यायोंको द्रव्य करता है (-पर्यायोंकी विवक्षाके समय भी व्यतिरेकव्यक्तियाँ अन्वयशक्तिरूप बनती हुई पर्यायोंको द्रव्यरूप करती हैं ); जैसे बाजूबंध आदि पर्यायोंको उत्पन्न करनेवाली वे- वे व्यतिरेकव्यक्तियाँ युगपत् प्रवृत्ति प्राप्त करके अन्वयशक्तिपनेको प्राप्त करती हुई बाजुबंध इत्यादि पर्यायोंको सुवर्ण करता है तद्नुसार । द्रव्यकी अभिधेयताके समय भी, सत् -उत्पादमें द्रव्यकी उत्पादक अन्वयशक्तियाँ क्रमप्रवृत्तिको प्राप्त करके उस -उस व्यतिरेकव्यक्तित्वको प्राप्त होती हुई, द्रव्यको पर्यायें (-पर्यायरूप) करती हैं; जैसे सुवर्णकी उत्पादक अन्वयशक्तियाँ १. असद्भावसंबंद्ध = अनस्तित्वके साथ संबंधवाला — संकलित । [पर्यायोंकी विवक्षाके समय
उत्पाद (असत् -उत्पाद, अविद्यमानका उत्पाद) है । ]