उत्पाद – व्यय
–
ध्रौव्यका परस्पर अविनाभाव
दृढ़ करते हैं
। .............................
१००
उत्पादादिका द्रव्यसे अर्थान्तरत्व नष्ट
करते हैं..... .......................... १०१
उत्पादादिका क्षणभेद निरस्त करके वे
द्रव्य हैं यह समझाते हैं...... .......... १०२
द्रव्यके उत्पाद – व्यय
–
ध्रौव्यको अनेकद्रव्यपर्याय तथा
एकद्रव्यपर्याय द्वारा विचारते हैं.......... १०३
सत्ता और द्रव्य अर्थान्तर नहीं होनेके
विषयमें युक्ति..... .................... १०५
पृथक्त्वका और अत्यत्वका लक्षण...... ...... १०६
अतद्भावको उदाहरण द्वारा स्पष्टतया
बतलाते हैं...... ....................... १०७
सर्वथा अभाव वह अतद्भावका
लक्षण नहीं है ......................... १०८
सत्ता और द्रव्यका गुण – गुणीपना सिद्ध
करते हैं...... ......................... १०९
गुण और गुणीके अनेकत्वका खण्डन..... .... ११०
द्रव्यके सत् – उत्पाद और असत्
–
उत्पाद होनेमें
अविरोध सिद्ध करते हैं...... .......... १११
सत् – उत्पादको अनन्यत्वके द्वारा और असत्
–
उत्पादको अन्यत्वके द्वारा निश्चित
करते हैं.... .................... ११२ – ११३
एक ही द्रव्यको अन्यत्व और अन्यत्व
होनेमें अविरोध...... .................. ११४
गर्व विरोधको दूर करनेवाली सप्तभंगी......... ११५
जीवको मनुष्यादि पर्यायें क्रियाका फल होनेसे
उनका अन्यत्व प्रकाशित करते हैं..... ११६
मनुष्यादिपर्यायोंमें जीवको स्वभावका पराभव किस
कारणसे होता है — इसका निर्णय..... ११८
जीवकी द्रव्यरूपसे अवस्थितता होने पर
भी पर्यायोंसे अनवस्थितता..... ........ ११९
परिणामात्मक संसारमें किस कारणसे पुद्गलका
सम्बन्ध होता है कि जिससे वह (संसार)
मनुष्यादि – पर्यायात्मक होता है
—
इसका
समाधान...... ......................... १२१
परमार्थसे आत्माको द्रव्यकर्मका अकर्तृत्व.... .. १२२
वह कौनसा स्वरूप है जिसरूप आत्मा
परिणमित होता है ? ................... १२३
ज्ञान, कर्म और कर्मफलका स्वरूप.... ....... १२४
उन (तीनों)को आत्मारूपसे निश्चित
करते हैं
। ..................................
१२५
शुद्धात्मोपलब्धिका अभिनन्दन करते हुए, द्रव्य –
सामान्यके वर्णनका उपसंहार....... १२६
✽
द्रव्यविशेष अधिकार
✽
द्रव्यके जीव – अजीवपनेरूप विशेष..... ....... १२७
द्रव्यके लोकालोकत्वरूप विशेष.... ........... १२८
द्रव्यके ‘क्रिया’ और ‘भाव’ रूप विशेष ..... १२९
गुणविशेषसे द्रव्यविशेष होता है...... ........ १३०
मूर्त और अमूर्त गुणोंके लक्षण
तथा सम्बन्ध.... ...................... १३१
मूर्त पुद्गलद्रव्यके गुण..... ................... १३२
अमूर्त द्रव्योंके गुण..... ..................... १३३
द्रव्योंका प्रदेशवत्त्व और अप्रदेशवत्त्वरूप
विशेष ................................ १३५
प्रदेशी और अप्रदेशी द्रव्य कहाँ रहते हैं...... १३६
प्रदेशवत्त्व और अप्रदेशवत्त्व किस
प्रकारसे संभव ? ...................... १३७
विषय
गाथा
विषय
गाथा
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