[ २८ ]
विषय
गाथा
विषय
गाथा
असत्संग निषेध्य है..... .................... २६८
‘लौकिक’ (जन)का लक्षण .................. २६९
सत्संग करने योग्य है..... .................. २७०
‘लौकिक’ (जन)का लक्षण .................. २६९
सत्संग करने योग्य है..... .................. २७०
शुभोपयोगको कारणकी विपरीततासे
फलकी विपरीतता.... ................. २५५ अविपरीत फलका कारण ऐसा जो
‘अविपरीत कारण’...... .............. २५९
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पञ्चरत्न – प्रज्ञापन
‘अविपरीत कारण’की उपासनारूप प्रवृत्ति
सामान्य और विशेषरूपसे कर्तव्य है.....२६१
संसारतत्त्व ................................... २७१
मोक्षतत्त्व .................................... २७२
मोक्षतत्त्वका साधनतत्त्व ...................... २७३
मोक्षतत्त्वके साधनतत्त्वका अभिनन्दन.... .... २७४
शास्त्रकी समाप्ति ............................ २७५
मोक्षतत्त्व .................................... २७२
मोक्षतत्त्वका साधनतत्त्व ...................... २७३
मोक्षतत्त्वके साधनतत्त्वका अभिनन्दन.... .... २७४
शास्त्रकी समाप्ति ............................ २७५
श्रमणाभासोंके प्रति समस्त प्रवृत्तियोंका
निषेध..... ........................... २६३ कैसा जीव श्रमणाभास है सो कहते हैं ...... २६४ जो श्रामण्यसे समान है उनका अनुमोदन न
करनेवालेका विनाश................... २६५
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जो श्रामण्यमें अधिक हो उसके प्रति जैसे कि
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वह श्रामण्यमें हीन हो ऐसा आचरण
करनेवालेका विनाश................... २६६
करनेवालेका विनाश................... २६६
परिशिष्ट
४७ नयों द्वारा आत्मद्रव्यका कथन .......... ५२१
आत्मद्रव्यकी प्राप्तिका प्रकार ................. ५३२
आत्मद्रव्यकी प्राप्तिका प्रकार ................. ५३२
स्वयं श्रामण्यमें अधिक हों तथापि अपनेसे हीन
श्रमण प्रति समान जैसा आचरण करे तो
उसका विनाश..... ................... २६७
उसका विनाश..... ................... २६७
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