भावप्रसिद्धेः, तथा तद्विनाभाविना प्रयताचारेण प्रसिद्धयदशुद्धोपयोगासद्भावपरस्य परप्राण-
व्यपरोपसद्भावेऽपि बन्धाप्रसिद्धया सुनिश्चितहिंसाऽभावप्रसिद्धेश्चान्तरंग एव छेदो बलीयान्, न
पुनर्बहिरंगः । एवमप्यन्तरंगच्छेदायतनमात्रत्वाद्बहिरंगच्छेदोऽभ्युपगम्येतैव ।।२१७।।
भावनारूपनिश्चयप्राणघाते सति निश्चयहिंसा नियमेन भवतीति । ततः कारणात्सैव मुख्येति ।।२१७।।
अथ तमेवार्थं दृष्टान्तदार्ष्टान्ताभ्यां दृढयति —
उच्चालियम्हि पाए इरियासमिदस्स णिग्गमत्थाए ।
आबाधेज्ज कुलिंगं मरिज्ज तं जोगमासेज्ज ।।“१५।।
ण हि तस्स तण्णिमित्तो बंधो सुहुमो य देसिदो समये ।
मुच्छा परिग्गहो च्चिय अज्झप्पपमाणदो दिट्ठो ।।“१६।। (जुम्मं)
कहानजैनशास्त्रमाला ]
चरणानुयोगसूचक चूलिका
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परप्राणोंके व्यपरोपका सद्भाव हो या असद्भाव, जो अशुद्धोपयोगके बिना नहीं होता ऐसे
१अप्रयत आचारसे प्रसिद्ध होनेवाला (-जाननेमें आनेवाला) अशुद्धोपयोगका सद्भाव जिसके
पाया जाता है उसके हिंसाके सद्भावकी प्रसिद्धि सुनिश्चित है; और इसप्रकार जो अशुद्धोपयोगके
बिना होता है ऐसे २प्रयत आचारसे प्रसिद्ध होनेवाला अशुद्धोपयोगका असद्भाव जिसके पाया
जाता है उसके, परप्राणोंके व्यपरोपके सद्भावमें भी बंधकी अप्रसिद्धि होनेसे, हिंसाके अभावकी
प्रसिद्धि सुनिश्चित है । ऐसा होने पर भी (अर्थात् अंतरंग छेद ही विशेष बलवान है बहिरंग छेद
नहीं, — ऐसा होन पर भी) बहिरंग छेद अंतरंग छेदका आयतनमात्र है, इसलिये उसे (बहिरंग
छेदको) स्वीकार तो करना ही चाहिये अर्थात् उसे मानना ही चाहिये ।
भावार्थ : — शुद्धोपयोगका हनन होना वह अन्तरंग हिंसा — अन्तरंग छेद है, और
दूसरेके प्राणोंका विच्छेद होना बहिरंग हिंसा – बहिरंग छेद है ।
जीव मरे या न मरे, जिसके अप्रयत आचरण है उसके शुद्धोपयोगका हनन होनेसे
अन्तरंग हिंसा होती ही है और इसलिये अन्तरंग छेद होता ही है । जिसके प्रयत आचरण है
उसके, परप्राणोंके व्यपरोपरूप बहिरंग हिंसाके — बहिरंग छेदके — सद्भावमें भी, शुद्धोपयोगका
हनन नहीं होनेसे अन्तरंग हिंसा नहीं होती और इसलिये अन्तरंग छेद नहीं होता ।।२१७।।
१. अशुद्धोपयोगके बिना अप्रयत आचार कभी नहीं होता, इसलिये जिसके अप्रयत आचार वर्तता है उसके
अशुद्ध उपयोग अवश्यमेव होता है । इसप्रकार अप्रयत आचारके द्वारा अशुद्ध उपयोग प्रसिद्ध होता है —
जाना जाता है ।
२. जहाँ अशुद्ध उपयोग नहीं होता वहीं प्रयत आचार पाया जाता है, इसलिये प्रयत आचारके द्वारा अशुद्ध
उपयोगका असद्भाव सिद्ध होता है — जाना जाता है ।