Pravachansar (Hindi).

< Previous Page   Next Page >


Page 16 of 513
PDF/HTML Page 49 of 546

 

१६प्रवचनसार[ भगवानश्रीकुंदकुंद-
अन्तरेण वस्तु परिणामोऽपि न सत्तामालम्बते स्वाश्रयभूतस्य वस्तुनोऽभावे निराश्रयस्य
परिणामस्य शून्यत्वप्रसंगात् वस्तु पुनरूर्ध्वतासामान्यलक्षणे द्रव्ये सहभाविविशेषलक्षणेषु
गुणेषु क्रमभाविविशेषलक्षणेषु पर्यायेषु व्यवस्थितमुत्पादव्ययध्रौव्यमयास्तित्वेन निर्वर्तित-
निर्वृत्तिमच्च
अतः परिणामस्वभावमेव ।।१०।।
कः कर्ता अत्थो परमात्मपदार्थः, सुवर्णद्रव्यपीतत्वादिगुणकुण्डलादिपर्यायस्थसुवर्णपदार्थवत् पुनश्च
किंरूपः अत्थित्तणिव्वत्तो शुद्धद्रव्यगुणपर्यायाधारभूतं यच्छुद्धास्तित्वं तेन निर्वृत्तोऽस्तित्वनिर्वृत्तः,
सुवर्णद्रव्यगुणपर्यायास्तित्वनिर्वृत्तसुवर्णपदार्थवदिति अयमत्र तात्पर्यार्थः यथा ---मुक्तजीवे द्रव्यगुण-
पर्यायत्रयं परस्पराविनाभूतं दर्शितं तथा संसारिजीवेऽपि मतिज्ञानादिविभावगुणेषु नरनारकादि-
विभावपर्यायेषु नयविभागेन यथासंभवं विज्ञेयम्, तथैव पुद्गलादिष्वपि
एवं शुभाशुभ-
शुद्धपरिणामव्याख्यानमुख्यत्वेन तृतीयस्थले गाथाद्वयं गतम् ।।१०।। अथ वीतरागसरागचारित्रसंज्ञयोः
(१) परिणाम रहित वस्तु गधेके सींगके समान है, (२) तथा उसका, दिखाई देनेवाले गोरस
इत्यादि (दूध, दही वगैरह) के परिणामोंके साथ
विरोध आता है (जैसेपरिणामके बिना
वस्तु अस्तित्व धारण नहीं करती उसी प्रकार) वस्तुके बिना परिणाम भी अस्तित्वको धारण
नहीं करता, क्योंकि स्वाश्रयभूत वस्तुके अभावमें (अपने आश्रयरूप जो वस्तु है वह न हो
तो ) निराश्रय परिणामको शून्यताका प्रसंग आता है

और वस्तु तो ऊ र्ध्वतासामान्यस्वरूप द्रव्यमें, सहभावी विशेषस्वरूप (साथ ही साथ रहनेवाले विशेष -भेद जिनका स्वरूप है ऐसे) गुणोंमें तथा क्रमभावी विशेषस्वरूप पर्यायोंमें रही हुई और उत्पाद -व्यय -ध्रौव्यमय अस्तित्वसे बनी हुई है; इसलिये वस्तु परिणाम- स्वभाववाली ही है

भावार्थ :जहाँ जहाँ वस्तु दिखाई देती है वहाँ वहाँ परिणाम दिखाई देता है जैसे गोरस अपने दूध, दही घी, छाछ इत्यादि परिणामोंसे युक्त ही दिखाई देता है जहाँ परिणाम नहीं होता वहाँ वस्तु भी नहीं होती जैसे कालापन, स्निग्धता इत्यादि परिणाम नहीं है तो गधेके सींगरूप वस्तु भी नहीं है इससे सिद्ध हुआ कि वस्तु परिणाम रहित कदापि नहीं होती जैसे वस्तु परिणामके बिना नहीं होती उसीप्रकार परिणाम भी वस्तुके बिना नहीं होते, क्योंकि वस्तुरूप आश्रयके बिना परिणाम किसके आश्रयसे रहेंगे ? गोरसरूप आश्रयके बिना दूध, दही इत्यादि परिणाम किसके आधारसे होंगे ? १. यदि वस्तुको परिणाम रहित माना जावे तो गोरस इत्यादि वस्तुओंके दूध, दही आदि जो परिणाम प्रत्यक्ष

दिखाई देते हैं उनके साथ विरोध आयेगा २. कालकी अपेक्षासे स्थिर होनेको अर्थात् कालापेक्षित प्रवाहको ऊ र्ध्वता अथवा ऊँ चाई कहा जाता है

ऊ र्ध्वतासामान्य अर्थात् अनादि -अनन्त उच्च (कालापेक्षित) प्रवाहसामान्य द्रव्य है