Ratnakarand Shravakachar-Gujarati (Devanagari transliteration). PrakAshakiy nivedan (Third edition).

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आ संस्था तेमनी अत्यंत ऋणी छे अने तेओ ज्यां होय त्यां आत्मसाधनामां विशेष प्रगति करीने ध्येयनी प्राति शीघ्र करी ल्ये एवी अंतरथी भावना भावे छे.

आ अनुवाद आद्यंत तपासीने जेमणे पोताना विशाळ शास्त्रज्ञान वडे योग्य संशोधन करी आयुं छे अने मार्गदर्शन आयुं छे, ते सहायता माटे आ संस्थाना माननीय भूतपूर्व प्रमुख भाइश्री रामजीभाइ दोशीनो अमो हृदयपूर्वक आभार मानीए छीए.

अजित मुद्रणालयना संचालक श्री मगनलालजी जैने कुशळतापूर्वक आ ग्रंथनी सुंदर छपाइ आदि कार्य करी आयुं छे ते बदल तेमनो आभार मानवामां आवे छे.

आ ग्रंथमां प्ररुपित श्रावकाचारने यथार्थ समजी, जीवनमां परिणमावी जगतना सर्व जीवो आत्महित साधो अने वीतरागना पंथने सदाय अनुसरो एवी भावना भावीए छीए. सोनगढ

साहित्यप्रकाशनसमिति

दीपावली

श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट

वि.सं. २०३२

सोनगढ (सौराष्ट्र)
प्रकाशकीय निवेदन (त्रीजी आवृत्ति)

आ ग्रंथनी पहेलानी आवृत्ति पूर्ण थइ जवाथी आ सुधारा-वधारा साथेनी नवीन त्रीजी आवृत्ति प्रकाशित करवामां आवे छे.

आ शास्त्रनो सम्यक्प्रकारे अभ्यास करी मुमुक्षुओ निजात्मकल्याणने साधे ए ज भावना.... फागण वद दशम

साहित्यप्रकाशनसमिति

पूज्य बहेनश्रीनो ७९मो

श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट

सम्यक्जयंती महोत्सव

सोनगढ (सौराष्ट्र)

वि.सं. २०६७