आ संस्था तेमनी अत्यंत ऋणी छे अने तेओ ज्यां होय त्यां आत्मसाधनामां विशेष प्रगति करीने ध्येयनी प्राति शीघ्र करी ल्ये एवी अंतरथी भावना भावे छे.
आ अनुवाद आद्यंत तपासीने जेमणे पोताना विशाळ शास्त्रज्ञान वडे योग्य संशोधन करी आयुं छे अने मार्गदर्शन आयुं छे, ते सहायता माटे आ संस्थाना माननीय भूतपूर्व प्रमुख भाइश्री रामजीभाइ दोशीनो अमो हृदयपूर्वक आभार मानीए छीए.
अजित मुद्रणालयना संचालक श्री मगनलालजी जैने कुशळतापूर्वक आ ग्रंथनी सुंदर छपाइ आदि कार्य करी आयुं छे ते बदल तेमनो आभार मानवामां आवे छे.
आ ग्रंथमां प्ररुपित श्रावकाचारने यथार्थ समजी, जीवनमां परिणमावी जगतना सर्व जीवो आत्महित साधो अने वीतरागना पंथने सदाय अनुसरो एवी भावना भावीए छीए. सोनगढ
दीपावली
वि.सं. २०३२
आ ग्रंथनी पहेलानी आवृत्ति पूर्ण थइ जवाथी आ सुधारा-वधारा साथेनी नवीन त्रीजी आवृत्ति प्रकाशित करवामां आवे छे.
आ शास्त्रनो सम्यक्प्रकारे अभ्यास करी मुमुक्षुओ निजात्मकल्याणने साधे ए ज भावना.... फागण वद दशम
पूज्य बहेनश्रीनो ७९मो
सम्यक्जयंती महोत्सव
वि.सं. २०६७