श्लोकविषयपृष्ठ १.मंगलाचरण (सिद्धात्माने नमस्कार)......................................................... १ २.मंगलाचरण (सकल परमात्मा–श्री अरिहंतने नमस्कार) ................................ ६ ३.ग्रन्थकारनी ग्रन्थरचना माटे प्रतिज्ञा....................................................... १० ४.आत्माना त्रण भेद .......................................................................... १३ ५.बहिरात्मादिनां लक्षण ....................................................................... १७ ६.परमात्मा वाचक नाम ....................................................................... २१ ७.बहिरात्मानी शरीरादिमां आत्मबुद्धि ..................................................... २२ ८-९.चतुर्गति संबंधी शरीरभेदथी जीवभेदनी मान्यता ....................................... २५ १०.बहिरात्मानी अन्य शरीरमां मान्यता ..................................................... २८ ११.शरीरमां आत्मबुद्धिनुं परिणाम............................................................ २९ १२.अविद्याना संस्कारनुं परिणाम .............................................................. ३१ १३.बहिरात्मा अने अंतरात्मामां कर्तव्य भेद ................................................ ३२ १४.शरीरमां आत्मबुद्धि माटे खेद ............................................................. ३४ १५.संसारदुःखनुं मूळ ............................................................................ ३५ १६.अन्तरात्मानो पूर्व अवस्था संबंधी खेद ................................................... ३७ १७.आत्मज्ञाननो उपाय ......................................................................... ३९ १८.अन्तरंग–बहिरंग वचन–प्रवृत्तिना त्यागनो उपाय..................................... ४० १९.अन्तर्विकल्पोना त्यागनो उपाय ............................................................ ४२ २०.आत्मानुं निर्विकल्प स्वरुप .................................................................. ४४ २१-२२. अन्तरात्मानी आत्मज्ञान पहेलां अने पछी चेष्टा ..................................४६-४८ २३.लिंग-संख्यादि विषे भ्रम–निवारण ........................................................ ४९ २४.आत्मस्वरुपनो अनुभव .................................................................... ५१ २५-२६. आत्मानुभवीनो शत्रु-मित्र विचार ....................................................५२-५४ २७.परमात्मपदनी प्राप्तिनो उपाय ............................................................. ५५ २८.परमात्मपदनी भावनानुं फळ .............................................................. ५६ २९.भय अने अभयनुं स्थान ................................................................... ५७ ३०-३१-३२. परमात्मस्वरुपनी प्राप्तिनो उपाय ........................................... ५९-६०-६२ ३३.आत्मज्ञान विना तपश्चरण व्यर्थ ........................................................... ६३ ३४.आत्मज्ञानीने तपश्चरणनो खेद होतो नथी. .............................................. ६५ ३५.राग-द्वेष रहित मनवाळो ज आत्मदर्शी छे............................................... ६७ ३६.आत्मतत्त्व अने आत्मभ्रान्ति .............................................................. ६८