Samadhitantra-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 15 of 199

 

[ 13 ]

३७.विक्षिप्त अने अविक्षिप्त मननुं कारण ..................................................... ७० ३८.विक्षिप्त अने अविक्षिप्त मननुं फळ ....................................................... ७२ ३९.राग-द्वेषादि दूर करवानो उपाय ............................................................ ७३ ४०.शरीरादिनो प्रेम केवी रीते दूर थाय ? ..................................................... ७५ ४१.आत्मविभ्रमज दुःख दूर करवानो उपाय ................................................. ७६ ४२.तपथी बहिरात्मा अने अंतरात्मा शुं चाहे छे ? ......................................... ७८ ४३.कर्मबंधन कोण करे छे? बहिरात्मा के अंतरात्मा ? ...................................... ८० ४४.बहिरात्मा अने अंतरात्माना विचारो ..................................................... ८२ ४५.अन्तरात्माने देहादिमां अभेद-भ्रान्ति केम ?............................................. ८३ ४६.अन्तरात्मा थयेली भ्रांतिने केवी रीते छोडे ? ............................................. ८५ ४७.बहिरात्मा अने अन्तरात्मानो त्याग-ग्रहण विषय ...................................... ८६ ४८.अन्तरात्मानो अंतरंग त्याग-ग्रहण ....................................................... ८८ ४९.बहिरात्मा अने अंतरात्माने जगत केवुं भासे छे ? ..................................... ९० ५०.अन्तरात्मानी भोजनादिकमां केवी प्रवृत्ति होय छे ? .................................... ९१ ५१.अनासक्त अन्तरात्मा आत्मज्ञानने ज बुद्धिमां धारण करे छे. ........................ ९३ ५२.आत्मानुभव करनारने दुःख-सुख केवी रीते होय ? ..................................... ९४ ५३.आत्मस्वरुपनी भावना केवी रीते करवी ? ................................................ ९६ ५४.शरीरादिमां भ्रान्त-अभ्रान्त मनुष्यनो व्यवहार .......................................... ९८ ५५.बहिरात्मानी बाह्य विषयमां आसक्ति ................................................. १०० ५६.बहिरात्मानी दशा ......................................................................... १०२ ५७.स्व शरीर अने पर शरीरने केवी रीते अवलोकवुं ? ................................... १०३ ५८.अन्तरात्मा बहिरात्माने आत्मतत्त्व केम बतावता नथी. ............................. १०५ ५९.बहिरात्माने आत्मतत्त्वमां रुचि नथी. .................................................. १०७ ६०.बहिरात्माने आत्मबोध केम थतो नथी ?............................................... १०९ ६१.अंतरात्मानी शरीरादिकनी शणगारवामां उदासीनता ................................. ११० ६२.संसार शाथी टके छे ? ..................................................................... ११२ ६३-६६. अंतरात्मा शरीरनी अवस्थाथी आत्मानी अवस्था मानतो नथी. ............ ११४-११८ ६७.अन्तरात्माने मुक्तिनी योग्यता .......................................................... ११८ ६८.बहिरात्माने संसार-भ्रमणनुं कारण ..................................................... १२० ६९.बहिरात्मा कोने आत्मा माने छे ?....................................................... १२२ ७०.शरीरथी भिन्न आत्म-भावना करवानो उपदेश ....................................... १२३ ७१.आत्मानी एकाग्र भावनानुं फळ ......................................................... १२४ ७२.चित्तनी स्थिरता माटे लोकसंसर्गनो त्याग .............................................. १२५