Samaysar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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समयसार
[ भगवानश्रीकुंदकुंद-

शुभाशुभौ मोक्षबन्धमार्गौ तु प्रत्येकं केवलजीवपुद्गलमयत्वादनेकौ, तदनेकत्वे सत्यपि केवल- पुद्गलमयबन्धमार्गाश्रितत्वेनाश्रयाभेदादेकं कर्म


तेओ अनेक (जुदां जुदां, बे) छे; तेओ अनेक होवा छतां कर्म तो केवळ पुद्गलमय एवा बंधमार्गने ज आश्रित होवाथी कर्मना आश्रयमां भेद नथी; माटे कर्म एक ज छे.

भावार्थःकोई कर्म तो अरहंतादिमां भक्ति-अनुराग, जीवो प्रत्ये अनुकंपाना परिणाम, मंद कषायथी चित्तनी उज्ज्वळता इत्यादि शुभ परिणामोना निमित्ते थाय छे अने कोई कर्म तीव्र क्रोधादिक अशुभ लेश्या, निर्दयपणुं, विषयासक्ति, देव-गुरु आदि पूज्य पुरुषो प्रत्ये विनयभावे न प्रवर्तवुं इत्यादि अशुभ परिणामोना निमित्तथी थाय छे; आम हेतुनो भेद होवाथी कर्मना शुभ अने अशुभ एवा बे भेद छे. शातावेदनीय, शुभ-आयु, शुभनाम अने शुभगोत्रए कर्मोना परिणाम(प्रकृति वगेरे)मां तथा चार घातिकर्मो, अशातावेदनीय, अशुभ-आयु, अशुभनाम, अशुभगोत्रए कर्माेना परिणाम(प्रकृति वगेरेमां)मां भेद छे; आम स्वभावनो भेद होवाथी कर्मना शुभ ने अशुभ एवा बे भेद छे. कोई कर्मना फळनो अनुभव सुखरूप छे अने कोई कर्मना फळनो अनुभव दुःखरूप छे; आम अनुभवनो भेद होवाथी कर्मना शुभ अने अशुभ एवा बे भेद छे. कोई कर्म मोक्षमार्गने आश्रित छे (अर्थात् मोक्षमार्गमां बंधाय छे) अने कोई कर्म बंधमार्गना आश्रये छे; आम आश्रयनो भेद होवाथी कर्मना शुभ अने अशुभ एवा बे भेद छे. आ प्रमाणे हेतु, स्वभाव, अनुभव अने आश्रय ए चार प्रकारे कर्ममां भेद होवाथी कोई कर्म शुभ छे अने कोई अशुभ छे एम केटलाकनो पक्ष छे.

हवे ए भेदपक्षनो निषेध करवामां आवे छेःजीवना शुभ अने अशुभ परिणाम बन्ने अज्ञानमय छे तेथी कर्मनो हेतु एक अज्ञान ज छे; माटे कर्म एक ज छे. शुभ अने अशुभ पुद्गलपरिणामो बन्ने पुद्गलमय ज छे तेथी कर्मनो स्वभाव एक पुद्गलपरिणामरूप ज छे; माटे कर्म एक ज छे. सुखरूप अने दुःखरूप अनुभव बन्ने पुद्गलमय ज छे तेथी कर्मनो अनुभव एक पुद्गलमय ज छे; माटे कर्म एक ज छे. मोक्षमार्ग अने बंधमार्गमां, मोक्षमार्ग तो केवळ जीवना परिणाममय ज छे अने बंधमार्ग केवळ पुद्गलना परिणाममय ज छे तेथी कर्मनो आश्रय केवळ बंधमार्ग ज छे (अर्थात् कर्म एक बंधमार्गना आश्रये ज थाय छेमोक्षमार्गमां थतां नथी); माटे कर्म एक ज छे.

आ प्रमाणे कर्मना शुभाशुभ भेदना पक्षने गौण करी तेनो निषेध कर्यो; कारण के अहीं अभेदपक्ष प्रधान छे, अने अभेदपक्षथी जोवामां आवे तो कर्म एक ज छेबे नथी.

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