Samaysar-Gujarati (Devanagari transliteration). Kalash: 112.

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कहानजैनशास्त्रमाळा ]

पुण्य-पाप अधिकार
२५९
(मन्दाक्रान्ता)
भेदोन्मादं भ्रमरसभरान्नाटयत्पीतमोहं
मूलोन्मूलं सकलमपि तत्कर्म कृत्वा बलेन
हेलोन्मीलत्परमकलया सार्धमारब्धकेलि
ज्ञानज्योतिः कवलिततमः प्रोज्जजृम्भे भरेण
।।११२।।

केटलाक लोको परमार्थभूत ज्ञानस्वरूप आत्माने तो जाणता नथी अने व्यवहार दर्शन- ज्ञानचारित्ररूप क्रियाकांडना आडंबरने मोक्षनुं कारण जाणी तेमां तत्पर रहे छेतेनो पक्षपात करे छे. आवा कर्मनयना पक्षपाती लोकोजेओ ज्ञानने तो जाणता नथी अने कर्मनयमां ज खेदखिन्न छे तेओसंसारमां डूबे छे.

वळी केटलाक लोको आत्मस्वरूपने यथार्थ जाणता नथी अने सर्वथा एकांतवादी मिथ्याद्रष्टिओना उपदेशथी अथवा पोतानी मेळे ज अंतरंगमां ज्ञाननुं स्वरूप खोटी रीते कल्पी तेमां पक्षपात करे छे. पोतानी परिणतिमां जराय फेर पड्या विना तेओ पोताने सर्वथा अबंध माने छे अने व्यवहार दर्शनज्ञानचारित्रना क्रियाकांडने निरर्थक जाणी छोडी दे छे. आवा ज्ञाननयना पक्षपाती लोको जेओ स्वरूपनो कांई पुरुषार्थ करता नथी अने शुभ परिणामोने छोडी स्वच्छंदी थई विषय-कषायमां वर्ते छे तेओ पण संसारसमुद्रमां डूबे छे.

मोक्षमार्गी जीवो ज्ञानरूपे परिणमता थका शुभाशुभ कर्मने हेय जाणे छे अने शुद्ध परिणतिने ज उपादेय जाणे छे. तेओ मात्र अशुभ कर्मने ज नहि परंतु शुभ कर्मने पण छोडी, स्वरूपमां स्थिर थवाने निरंतर उद्यमवंत छेसंपूर्ण स्वरूपस्थिरता थतां सुधी तेनो पुरुषार्थ कर्या ज करे छे. ज्यां सुधी, पुरुषार्थनी अधूराशने लीधे, शुभाशुभ परिणामोथी छूटी स्वरूपमां संपूर्णपणे टकी शकातुं नथी त्यां सुधीजोके स्वरूपस्थिरतानुं अंर्त-आलंबन (अंतःसाधन) तो शुद्ध परिणति पोते ज छे तोपणअंर्त-आलंबन लेनारने जेओ बाह्य आलंबनरूप कहेवाय छे एवा (शुद्ध स्वरूपना विचार आदि) शुभ परिणामोमां ते जीवो हेयबुद्धिए प्रवर्ते छे, परंतु शुभ कर्मोने निरर्थक गणी छोडी दईने स्वच्छंदपणे अशुभ कर्मोमां प्रवर्तवानी बुद्धि तेमने कदी होती नथी. आवा जीवोजेओ एकांत अभिप्राय रहित छे तेओकर्मनो नाश करी, संसारथी निवृत्त थाय छे. १११.

हवे पुण्य-पाप अधिकारने पूर्ण करतां आचार्यदेव ज्ञाननो महिमा करे छेः

श्लोकार्थः[ पीतमोहं ] जेणे मोहरूपी मदिरा पीधी होवाथी [ भ्रम-रस-भरात् भेदोन्मादं नाटयत् ] जे भ्रमना रसना भारथी (अतिशयपणाथी) शुभाशुभ कर्मना भेदरूपी उन्मादने (गांडपणाने) नचावे छे [ तत् सकलम् अपि कर्म ] एवा समस्त कर्मने [ बलेन ] पोताना बळ