Samaysar-Gujarati (Devanagari transliteration). Gatha: 252.

< Previous Page   Next Page >


Page 382 of 642
PDF/HTML Page 413 of 673

 

समयसार
[ भगवानश्रीकुंदकुंद-
आऊदयेण जीवदि जीवो एवं भणंति सव्वण्हू
आउं च ण दिंति तुहं कहं णु ते जीविदं कदं तेहिं ।।२५२।।
आयुरुदयेन जीवति जीव एवं भणन्ति सर्वज्ञाः
आयुश्च न ददासि त्वं कथं त्वया जीवितं कृतं तेषाम् ।।२५१।।
आयुरुदयेन जीवति जीव एवं भणन्ति सर्वज्ञाः
आयुश्च न ददति तव कथं नु ते जीवितं कृतं तैः ।।२५२।।

जीवितं हि तावज्जीवानां स्वायुःकर्मोदयेनैव, तदभावे तस्य भावयितुमशक्यत्वात्; स्वायुःकर्म च नान्येनान्यस्य दातुं शक्यं, तस्य स्वपरिणामेनैव उपार्ज्यमाणत्वात्; ततो न कथञ्चनापि अन्योऽन्यस्य जीवितं कुर्यात् अतो जीवयामि, जीव्ये चेत्यध्यवसायो ध्रुवमज्ञानम्

छे आयु-उदये जीवन जीवनुं एम सर्वज्ञे कह्युं,
ते आयु तुज देता नथी, तो जीवन क्यम तारुं कर्युं? २५२.

गाथार्थः[जीवः] जीव [आयुरुदयेन] आयुकर्मना उदयथी [जीवति] जीवे छे [एवं] एम [सर्वज्ञाः] सर्वज्ञदेवो [भणन्ति] कहे छे; [त्वं] तुं [आयुः च] पर जीवोने आयुकर्म तो [न ददासि] देतो नथी [त्वया] तो (हे भाई!) तें [तेषाम् जीवितं] तेमनुं जीवित (जीवतर) [कथं कृतं] कई रीते कर्युं?

[जीवः] जीव [आयुरुदयेन] आयुकर्मना उदयथी [जीवति] जीवे छे [एवं] एम [सर्वज्ञाः] सर्वज्ञदेवो [भणन्ति] कहे छे; पर जीवो [तव] तने [आयुः च] आयुकर्म तो [न ददति] देता नथी [तैः] तो (हे भाई!) तेमणे [ते जीवितं] तारुं जीवित [कथं नु कृतं] कई रीते कर्युं?

टीकाःप्रथम तो, जीवोने जीवित खरेखर पोताना आयुकर्मना उदयथी ज छे, कारण के पोताना आयुकर्मना उदयना अभावमां जीवित करावुं (थवुं) अशक्य छे; वळी पोतानुं आयुकर्म बीजाथी बीजाने दइ शकातुं नथी, कारण के ते (पोतानुं आयुकर्म) पोताना परिणामथी ज उपार्जित थाय छे (मेळवाय छे); माटे कोई पण रीते बीजो बीजानुं जीवित करी शके नहि. तेथी ‘हुं परने जिवाडुं छुं अने पर मने जिवाडे छे’ एवो अध्यवसाय ध्रुवपणे (नियतपणे) अज्ञान छे.

भावार्थःपूर्वे मरणना अध्यवसाय विषे कह्युं हतुं ते प्रमाणे अहीं पण जाणवुं.

३८२