Samaysar-Gujarati (Devanagari transliteration). Gatha: 293.

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समयसार
[ भगवानश्रीकुंदकुंद-
यथा बन्धांश्छित्वा च बन्धनबद्धस्तु प्राप्नोति विमोक्षम्
तथा बन्धांश्छित्वा च जीवः सम्प्राप्नोति विमोक्षम् ।।२९२।।

कर्मबद्धस्य बन्धच्छेदो मोक्षहेतुः, हेतुत्वात्, निगडादिबद्धस्य बन्धच्छेदवत् एतेन उभयेऽपि पूर्वे आत्मबन्धयोर्द्विधाकरणे व्यापार्येते

किमयमेव मोक्षहेतुरिति चेत्

बंधाणं च सहावं वियाणिदुं अप्पणो सहावं च
बंधेसु जो विरज्जदि सो कम्मविमोक्खणं कुणदि ।।२९३।।
बन्धानां च स्वभावं विज्ञायात्मनः स्वभावं च
बन्धेषु यो विरज्यते स कर्मविमोक्षणं करोति ।।२९३।।

गाथार्थः[यथा च] जेम [बन्धनबद्धः तु] बंधनथी बंधायेलो पुरुष [बन्धान् छित्वा] बंधोने छेदीने [विमोक्षम् प्राप्नोति] मोक्ष पामे छे, [तथा च] तेम [जीवः] जीव [बन्धान् छित्वा] बंधोने छेदीने [विमोक्षम् सम्प्राप्नोति] मोक्ष पामे छे.

टीकाःकर्मथी बंधायेलाने बंधनो छेद मोक्षनुं कारण छे, केम के जेम बेडी आदिथी बंधायेलाने बंधनो छेद बंधथी छूटवानुं कारण छे तेम कर्मथी बंधायेलाने कर्मबंधनो छेद कर्मबंधथी छूटवानुं कारण छे. आथी (आ कथनथी), पूर्वे कहेला बन्नेने (जेओ बंधना स्वरूपना ज्ञानमात्रथी संतुष्ट छे तेमने अने जेओ बंधना विचार कर्या करे छे तेमने) आत्मा अने बंधना द्विधाकरणमां व्यापार कराववामां आवे छे (अर्थात् आत्मा अने बंधने जुदा जुदा करवा प्रत्ये लगाडवामांजोडवामांउद्यम कराववामां आवे छे).

‘मात्र आ ज (अर्थात् बंधनो छेद ज) मोक्षनुं कारण केम छे?’ एम पूछवामां आवतां हवे तेनो उत्तर कहे छेः

बंधो तणो जाणी स्वभाव, स्वभाव जाणी आत्मनो,
जे बंध मांही विरक्त थाये, कर्ममोक्ष करे अहो! २९३.

गाथार्थः[बन्धानां स्वभावं च] बंधोना स्वभावने [आत्मनः स्वभावं च] अने आत्माना स्वभावने [विज्ञाय] जाणीने [बन्धेषु] बंधो प्रत्ये [यः] जे [विरज्यते] विरक्त थाय छे, [सः] ते [कर्मविमोक्षणं करोति] कर्मोथी मुकाय छे.

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