गाथार्थ : — [तेषां ] उनके (पूर्व क थित रागद्वेषमोहरूप आस्रवोंके) [हेतवः ] हेतु [सर्वदर्शिभिः ] सर्वदर्शियोंने [मिथ्यात्वम् ] मिथ्यात्व, [अज्ञानम् ] अज्ञान, [अविरतभावः च ] और अविरतभाव [योगः च ] तथा योग — [अध्यवसानानि ] यह (चार) अध्यवसान [भणिताः ] क हे हैं । [ज्ञानिनः ] ज्ञानीके [हेत्वभावे ] हेतुओंके अभावमें [नियमात् ] नियमसे [आस्रवनिरोधः ] आस्रवका निरोध [जायते ] होता है, [आस्रवभावेन विना ] आस्रवभावके बिना [क र्मणः अपि ] क र्मका भी [निरोधः ] निरोध [जायते ] होता है, [च ] और [क र्मणः अभावेन ] क र्मके अभावसे [नोक र्मणाम् अपि ] नोक र्मोंका भी [निरोधः ] निरोध [जायते ] होता है, [च ] और [नोक र्मनिरोधेन ] नोक र्मके निरोधसे [संसारनिरोधनं ] संसारका निरोध [भवति ] होता है