Samaysar (Hindi). Kalash: 200.

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कहानजैनशास्त्रमाला ]
सर्वविशुद्धज्ञान अधिकार
४७१
ये त्वात्मानं कर्तारमेव पश्यन्ति ते लोकोत्तरिका अपि न लौकिकतामतिवर्तन्ते; लौकिकानां
परमात्मा विष्णुः सुरनारकादिकार्याणि करोति, तेषां तु स्वात्मा तानि करोतीत्यपसिद्धान्तस्य
समत्वात्
ततस्तेषामात्मनो नित्यकर्तृत्वाभ्युपगमात् लौकिकानामिव लोकोत्तरिकाणामपि नास्ति
मोक्षः
(अनुष्टुभ्)
नास्ति सर्वोऽपि सम्बन्धः परद्रव्यात्मतत्त्वयोः
कर्तृकर्मत्वसम्बन्धाभावे तत्कर्तृता कुतः ।।२००।।
अपसिद्धान्त = मिथ्या अर्थात् भूलभरा सिद्धान्त
[श्रमणानाम् अपि ] श्रमणोंके मतमें भी [आत्मा ] आत्मा [करोति ] क रता है (इसलिये कर्तृत्वकी
मान्यतामें दोनों समान हुए)
[एवं ] इसप्रकार, [सदेवमनुजासुरान् लोकान् ] देव, मनुष्य और
असुर लोक को [नित्यं कुर्वतां ] सदा क रते हुए (अर्थात् तीनों लोक के क र्ताभावसे निरन्तर
प्रवर्तमान) ऐसे [लोकश्रमणानां द्वयेषाम् अपि ] उन लोक और श्रमण
दोनोंका [कोऽपि मोक्षः ]
कोई मोक्ष [न दश्यते ] दिखाई नहीं देता
टीका :जो आत्माको कर्ता ही देखतेमानते हैं, वे लोकोत्तर हों तो भी लौकिकताको
अतिक्रमण नहीं करते; क्योंकि, लौकिक जनोंके मतमें परमात्मा विष्णु देवनारकादि कार्य करता है,
और उन (
लोकोत्तर भी मुनियों)के मतमें अपना आत्मा उन कार्यको करता हैइसप्रकार
(दोनोमें) अपसिद्धान्तकी समानता है इसलिये आत्माके नित्य कर्तृत्वकी उनकी मान्यताके
कारण, लौकिक जनोंकी भाँति, लोकोत्तर पुरुषों (मुनियों) का भी मोक्ष नहीं होता
भावार्थ :जो आत्माको कर्ता मानते हैं, वे भले ही मुनि हो गये हों तथापि वे लौकिक
जन जैसे ही हैं; क्योंकि, लोक ईश्वरको कर्ता मानता है और उन मुनियोंने आत्माको कर्ता माना
है
इसप्रकार दोनोंकी मान्यता समान हुई इसलिये जैसे लौकिक जनोंको मोक्ष नहीं होती,
उसीप्रकार उन मुनियोंकी भी मुक्ति नहीं है जो कर्ता होगा वह कार्यके फलको भी अवश्य भोगेगा,
और जो फलको भोगेगा उसकी मुक्ति कैसी ?।।३२१ से ३२३।।
अब आगेके श्लोकमें यह कहते हैं कि‘परद्रव्य और आत्माका कोई भी सम्बन्ध नहीं
है, इसलिये उनमें कर्ता-कर्मसम्बन्ध भी नहीं है; :
श्लोकार्थ :[परद्रव्य-आत्मतत्त्वयोः सर्वः अपि सम्बन्धः नास्ति ] परद्रव्य और आत्म-
तत्त्वका सम्पूर्ण ही (कोई भी) सम्बन्ध नहीं है; [कर्तृ-कर्मत्व-सम्बन्ध-अभावे ] इसप्रकार क र्तृ-
क र्मत्वके सम्बन्धका अभाव होनेसे, [तत्कर्तृता कुतः ] आत्माके परद्रव्यका क र्तृत्व क हाँसे हो
सकता है ?
भावार्थ :परद्रव्य और आत्माका कोई भी सम्बन्ध नहीं है, तब फि र उनमें