Samaysar Kalash Tika-Gujarati (Devanagari transliteration). Shlok: 4.

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समयसार-कलश
[ भगवानश्रीकुंदकुंद-

‘‘समयसारव्याख्यया एव’’ (समयसार) शुद्ध जीव, तेना (व्याख्यया एव) उपदेशथी ज अमने शुद्धस्वरूपनी प्राप्ति थाओ. भावार्थ आम छेआ शास्त्र परमार्थरूप छे, वैराग्य- उत्पादक छे; भारत-रामायण पेठे रागवर्धक नथी. केवो छुं हुं? ‘‘अनुभूतेः’’ अनुभूतिअतीन्द्रिय सुख, ते ज छे स्वरूप जेनुं एवो छुं. वळी केवो छुं? ‘‘शुद्धचिन्मात्रमूर्तेः’’ (शुद्ध) रागादि-उपाधिरहित (चिन्मात्र) चेतनामात्र (मूर्तेः) स्वभाव छे जेनो एवो छुं. भावार्थ आम छे केद्रव्यार्थिकनयथी द्रव्यस्वरूप आवुं ज छे. वळी केवो छुं हुं? ‘‘अविरतमनुभाव्यव्याप्तिकल्माषितायाः’’ (अविरतं) निरंतरपणे अनादि सन्तानरूपे (अनुभाव्य) विषय-कषायादिरूप अशुद्ध चेतना, तेनी साथे छे (व्याप्ति) व्याप्ति अर्थात् ते-रूप छे विभाव-परिणमन, एवुं छे (कल्माषितायाः) कलंकपणुं जेने एवो छुं. भावार्थ आम छेपर्यायार्थिकनयथी जीववस्तु अशुद्धपणे अनादिनी परिणमी छे. ते अशुद्धतानो विनाश थतां जीववस्तु ज्ञानस्वरूप सुखस्वरूप छे. हवे कोई प्रश्न करे छे के जीववस्तु अनादिथी अशुद्धपणे परिणमी छे, त्यां निमित्तमात्र कोई छे के नहीं? उत्तर आम छेनिमित्तमात्र पण छे. ते कोण? ते ज कहे छे‘‘मोहनाम्नोऽनुभावात्’’ (मोहनाम्नः) पुद्गलपिंडरूप आठ कर्मोमां मोह एक कर्मजाति छे, तेनो (अनुभावात्) उदय अर्थात् विपाक-अवस्था. भावार्थ आम छे रागादि-अशुद्ध-परिणामरूप जीवद्रव्य व्याप्य-व्यापकरूपे परिणमे छे, पुद्गलपिंडरूप मोहकर्मनो उदय निमित्तमात्र छे. जेम कोई धतूरो पीवाथी घूमे छे, निमित्तमात्र धतूरानुं तेने छे. केवुं छे मोहनामक कर्म? ‘‘परपरिणतिहेतोः’’ (पर) अशुद्ध (परिणति) जीवना परिणाम जेनुं (हेतोः) कारण छे. भावार्थ आम छेजीवना अशुद्ध परिणामना निमित्ते एवा रस सहित मोहकर्म बंधाय छे, पछी उदयसमये निमित्तमात्र थाय छे. ३.

(मालिनी)
उभयनयविरोधध्वंसिनि स्यात्पदाङ्के
जिनवचसि रमन्ते ये स्वयं वान्तमोहाः
सपदि समयसारं ते परं ज्योतिरुच्चै-
रनवमनयपक्षाक्षुण्णमीक्षन्त एव
।।।।