Samaysar Kalash Tika-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 24 of 269
PDF/HTML Page 46 of 291

 

२४

समयसार-कलश
[ भगवानश्रीकुंदकुंद-

खंडान्वय सहित अर्थः‘‘अयि मूर्तेः पार्श्ववर्ती भव, अथ मुहूर्तं पृथक् अनुभव’’ (अयि) हे भव्यजीव! (मूर्तेः) शरीरथी (पार्श्ववर्ती) भिन्नस्वरूप (भव) था. भावार्थ आम छे के अनादिकाळथी जीवद्रव्य (शरीर साथे) एकसंस्काररूप थईने चाल्युं आवे छे, तेथी जीवने आम कहीने प्रतिबोधवामां आवे छे के हे जीव! आ जेटला शरीरादि पर्यायो छे ते बधा पुद्गलकर्मना छे, तारा नथी; तेथी आ पर्यायोथी पोताने भिन्न जाण.

(अथ) भिन्न जाणीने (मुहूर्तम्) थोडोक काळ (पृथक्)

शरीरथी भिन्न चेतनद्रव्यरूपे (अनुभव) प्रत्यक्षपणे आस्वाद कर. भावार्थ आम छे के शरीर तो अचेतन छे, विनश्वर छे, शरीरथी भिन्न कोई तो पुरुष (आत्मा) छे एवुं जाणपणुंएवी प्रतीति मिथ्याद्रष्टि जीवोने पण होय छे, परंतु साध्यसिद्धि तो कांई नथी. ज्यारे जीवद्रव्यनो द्रव्य-गुण-पर्यायस्वरूप प्रत्यक्षपणे आस्वाद आवे छे त्यारे सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्र छे, सकळकर्मक्षयलक्षण मोक्ष पण छे. केवो छे अनुभवशील जीव? ‘‘तत्त्वकौतूहली सन्’’ (तत्त्व) शुद्ध चैतन्यवस्तुना (कौतूहली सन्) स्वरूपने जोवा इच्छे छे एवो थयो थको. वळी केवो थईने? ‘‘कथमपि मृत्वा’’ (कथमपि) कोई पण प्रकारेकोईपण उपाये, (मृत्वा) मरीने पण, शुद्ध जीवस्वरूपनो अनुभव कर. भावार्थ आम छे के शुद्ध चैतन्यनो अनुभव तो सहजसाध्य छे, यत्नसाध्य तो नथी, परंतु आटलुं कहीने अत्यंत उपादेयपणुं द्रढ कर्युं छे. अहीं कोई प्रश्न करे छे के अनुभव तो ज्ञानमात्र छे, तेनाथी शुं कांई कार्यसिद्धि छे? ते पण उपदेश द्वारा कहे छे‘‘येन मूर्त्या साकम् एकत्वमोहम् झगिति त्यजसि’’ (येन) जे शुद्ध चैतन्यना अनुभव वडे (मूर्त्या साकम्) द्रव्यकर्म-भावकर्म-नोकर्मात्मक समस्त कर्मरूप पर्यायोनी साथे (एकत्वमोहम्) एकसंस्काररूप‘हुं देव छुं, हुं मनुष्य छुं, हुं तिर्यंच छुं, हुं नारकी छुं’ इत्यादिरूप, ‘हुं सुखी छुं, हुं दुःखी छुं’ इत्यादिरूप, ‘हुं क्रोधी छुं, हुं मानी छुं’ इत्यादिरूप, तथा ‘हुं यति छुं, हुं गृहस्थ छुं’ इत्यादिरूपप्रतीति एवो छे मोह अर्थात् विपरीतपणुं तेने (झगिति) अनुभव थतां वेंत ज (त्यजसि) हे जीव! पोतानी बुद्धिथी तुं ज छोडीश. भावार्थ आम छे के अनुभव ज्ञानमात्र वस्तु छे, एकत्वमोह मिथ्यात्वरूप द्रव्यना विभावपरिणाम छे, तोपण एमने (अनुभवने अने मिथ्यात्वना मटवाने) आपसमां कारणकार्यपणुं छे. तेनुं विवरणजे काळे जीवने अनुभव थाय छे ते काळे मिथ्यात्वपरिणमन मटे छे,