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समयसार-कलश
[ भगवानश्रीकुंदकुंद-
ज मग्न थई देखे छे; तेवी रीते जीवनुं स्वरूप शुद्धरूप बतावायुं थकुं बधाय जीवोए अनुभव करवायोग्य छे. केवो छे शान्तरस? ‘‘आलोकमुच्छलति’’ (आलोकम्) समस्त त्रैलोक्यमां (उच्छलति) सर्वोत्कृष्ट छे, उपादेय छे अथवा लोकालोकनो ज्ञाता छे. हवे अनुभव जेवो छे तेवो कहे छे — ‘‘निर्भरम्’’ अतिशय मग्नपणे छे. ३२.