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[ सर्वज्ञ सत्तास्वरूप
तेने प्रत्यक्ष पण जाणी ले छे; ए ज प्रमाणे ज्ञेय, अनुमेय छे
तेने प्रत्यक्ष थवा माटे द्रष्टांतथी आ अनुमान साध्युं. १सूक्ष्म,
२अंतरित अने ३दूरवर्तिपदार्थ हेतुअनुमेय छे माटे ते कोईने
प्रत्यक्ष छे ज, जेने ते प्रत्यक्ष छे ते ज सर्वज्ञ छे. ए प्रमाणे
अनुमानद्रष्टांतथी सर्वज्ञनी सत्ता सिद्ध करी. श्री देवागमस्तोत्रमां
पण कह्युं छे के —
✽
सूक्ष्मान्तरितदूरार्थाः प्रत्यक्षाः कस्यचिद्यथा ।
अनुमेयत्त्वतोऽग्न्यादिरिति सर्वज्ञसंस्थितिः ।।५।।
(आप्तमीमांसा)
अर्थ : — जे १सूक्ष्म, २अंतरित अने ३दूरवर्ति पदार्थ
छे ते कोईने प्रत्यक्ष होय छे, तेनुं द्रष्टांत – जेम अग्नि अनुमेय
छे. तेने प्रत्यक्ष (पण) जोई ज ले छे. ए प्रमाणे बीजुं
अनुमान सिद्ध कर्युं.
१. सूक्ष्मपदार्थ = परमाणु वगेरे सूक्ष्म पदार्थो.
२. अंतरितपदार्थ = राम, रावण वगेरे काळथी दूर एवा पदार्थो.
३. दूरवर्तिपदार्थ = मेरूपर्वत वगेरे क्षेत्रथी दूर एवा पदार्थो.
✽अर्थ : — जेम अग्नि वगेरे पदार्थो अनुमानना विषय होवाथी
कोईने तेओ प्रत्यक्ष होय छे तेम सूक्ष्म, अंतरित [काळ
अपेक्षाए अंतर पड्युं होय एवा] अने दूर पदार्थो पण
अनुमानना विषय होवाथी कोईने प्रत्यक्ष होय छे, ए रीते
सर्वज्ञनी सिद्धि थाय छे.