Sattasvarup-Gujarati (Devanagari transliteration).

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सर्वज्ञ सत्तास्वरूप ][ ९९
कोईने भासशे नहि; कारण केजेम अमे कायवान पुरुष छीए
ते ज प्रमाणे अन्य छे, अमारामां अने बीजाओमां विशेषता
शुं छे?’’
उपरनुं कथन अयुक्त छे, कारण केसर्वज्ञनो अभाव
साधवा माटे ज्ञापकानुंपलंभ नामनो हेतु आप्यो हतो तेने तो
अमे जूठो करी ज दीधो छे. तथा सर्वज्ञनो सद्भाव सिद्ध
थवानो उपाय तमारे करवो छे तो स्याद्वादना कह्या प्रमाणे
अमे अनुमान सिद्ध करी चित्त लगाव्युं छे तेम तमे पण चित्त
लगावो तो सर्वज्ञनी सत्ता अवश्य भासशे ज. वळी तमे आ
हेतु आप्यो के
‘हुं मनुष्य छुं ते ज प्रमाणे स्याद्वादी मनुष्य,
अमने तो न भास्यो अने स्याद्वादीने भास्यो’ तो एवी
स्याद्वादमां शुं विशेषता छे?’’ आ हेतु तमे असत्य आप्यो
छे, कारण के जगतमां मनुष्यशरीरवान तो बधा एक ज
जातिना छे. परंतु तेमां आटली विशेषता तो आजे पण प्रत्यक्ष
जोईए छीए के
जेम कोई मूर्ख छे, कोईने हीरा
मोती
इत्यादि वस्तुओनी किंमतनुं ज्ञान छे, कोईने नथी, कोईने
शराफीनुं ज्ञान छे, कोईने बजाजीनुं (गावा
बजाववानुं) ज्ञान
छे, कोईने शास्त्रोनुं ज्ञान छे, कोईने रोगनुं ज्ञान छे, कोईने
नथी, कोई दुष्टबुद्धिवान छे, कोईने धर्मबुद्धि छे तथा कोईने
पापबुद्धि छे; ए ज प्रमाणे तमने सर्वज्ञनो सद्भाव न भास्यो
अने स्याद्वादीने भास्यो तो एमां विरोध क्यां आव्यो?
एक आ वात छे केतमारे स्याद्वादीना सर्वज्ञनो
१. सर्वज्ञवादीनो उत्तर.