Sattasvarup-Gujarati (Devanagari transliteration).

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(६) चार प्रकारना अनुमानथी सर्वज्ञनी सिद्धि. --------- ९०९३
(अ)एकदेश आवरणनी हानिने साधन
बनावी सर्वज्ञना अनुमाननी सिद्धि.-------------- ९०
(ब)थोडा घणा ज्ञेयनुं कोईने प्रत्यक्ष छे तेने साधन बनावी
सर्वज्ञनी सिद्धि.---------------------------------- ९१
(क ) सूक्ष्मादि पदार्थोने साधन बनावी सर्वज्ञनी
सिद्धि. -------------------------------------------- ९२
(ड)सूक्ष्मादि पदार्थरूप जे उपदेश वाक्यो छे
तेने साधन बनावी सर्वज्ञनी सिद्धि. -------------- ९३
५. केवा जीवोने साचा मोक्षमार्गना सूत्रोनुं साचुं
सत्यपणुं भासे छे ते बाबत. ----------------------------- ९९
६. आत्मकल्याणनी भावनावाळाने भलामण.-------------- १००
७. कुळपद्धति वगेरेथी जिनदेवनो सेवक बनवाथी
कल्याण थतुं नथी ते बाबत. ---------------------------- १०१
८. सौथी पहेलां तो पोताना ज्ञानमां सर्वज्ञनी सत्ता
सिद्ध करवी ए ज जिनमतनी आम्नाय छे. ------------ १०२
९. सकल पदार्थोनुं प्रत्यक्ष भासवापणुं. -------------------- १०२
१०. स्याद्वादीने सर्वज्ञनी सत्तानो सद्भाव अवश्य
भासे छे ते बाबत. ------------------------------------ १०३
११. जिनमतने बाधा पहोंचे तेवुं सांभळीने जेने
तलाकपणुं आवतुं नथी, ते जैनाभासी छे. -------------- १०६
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